ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध का बिल: भारत के डिजिटल गेमिंग क्षेत्र पर संकट

भारत सरकार द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत किया गया “ऑनलाइन गेमिंग को बढ़ावा और विनियमन विधेयक, 2025” (Bill No. 110 of 2025) देश में ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र के भविष्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। यह विधेयक, जहां एक ओर भारतीय स्टार्टअप्स द्वारा अवैध विदेशी प्लेटफार्मों के खिलाफ उठाई गई चिंताओं का समाधान करने का प्रयास करता है, वहीं दूसरी ओर यह लगभग सभी वास्तविक धन आधारित ऑनलाइन गेमिंग स्वरूपों को बंद करने का मार्ग प्रशस्त करता है।

विधेयक की प्रमुख विशेषताएं

विधेयक ई-स्पोर्ट्स, शैक्षणिक खेलों और सामाजिक खेलों को प्रोत्साहित करने की बात करता है, परंतु जिन भी ऑनलाइन खेलों में कोई भी प्रकार का भुगतान, शुल्क, जमा राशि या पुरस्कार में धन की आशा हो, उन सभी को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव करता है। इसका प्रभाव यह होगा कि संपूर्ण रियल मनी गेमिंग उद्योग — जिसमें कौशल आधारित फैंटेसी स्पोर्ट्स जैसे क्षेत्र शामिल हैं — ठप पड़ जाएगा।
विधेयक में यह भी कहा गया है कि कोई भी बैंक, वित्तीय संस्था या अन्य व्यक्ति ऑनलाइन धन आधारित खेलों के लिए भुगतान या ट्रांजेक्शन को न तो प्रोत्साहित करे और न ही उसका संचालन करे। इसके उल्लंघन पर कड़े दंड का प्रावधान किया गया है — जिसमें तीन वर्ष तक की सजा और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना शामिल है।

उद्योग जगत की आशंकाएँ

इस विधेयक से भारत में तेजी से उभरते गेमिंग स्टार्टअप्स के लिए संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार द्वारा अवैध विदेशी प्लेटफॉर्म्स पर नियंत्रण के प्रयासों में स्वदेशी कंपनियाँ भी इसकी चपेट में आ रही हैं। इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष लगभग ₹6,000 करोड़ का निवेश विज्ञापन, तकनीक और इंफ्रास्ट्रक्चर में होता है, और सरकार को टैक्स के रूप में ₹20,000 करोड़ का राजस्व मिलता है। इस विधेयक से यह सब कुछ खतरे में पड़ सकता है।
उद्योग संगठनों जैसे ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन, फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स और ई-गेमिंग फेडरेशन ने जिम्मेदार गेमिंग के लिए आचार संहिता बनाई है जिसमें उम्र सत्यापन, खर्च की सीमाएं, स्व-निषेध विकल्प और उपयोगकर्ता शिक्षा जैसे उपाय शामिल हैं। इन संगठनों का मानना है कि पूर्ण प्रतिबंध के बजाय विवेकपूर्ण और स्मार्ट नियमन ही समाधान है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • “The Promotion and Regulation of Online Gaming Bill, 2025” लोकसभा में पारित हो चुका है और अब राज्यसभा में लंबित है।
  • विधेयक के तहत रियल मनी गेमिंग के किसी भी स्वरूप पर रोक लगाई गई है।
  • भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग का अनुमानित वार्षिक राजस्व ₹20,000 करोड़ है।
  • ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर जीएसटी के ₹2.5 लाख करोड़ से जुड़े विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लंबित है।

निष्कर्ष

भारत में ऑनलाइन गेमिंग के तेजी से बढ़ते परिदृश्य को देखते हुए, इस विधेयक का दूरगामी प्रभाव हो सकता है। जहां सरकार के लिए उपभोक्ता संरक्षण, राष्ट्रीय सुरक्षा और वित्तीय धोखाधड़ी की चिंताएं वाजिब हैं, वहीं blanket ban जैसे उपाय अक्सर अनपेक्षित दुष्परिणाम उत्पन्न करते हैं। यह समय है जब भारत को डिजिटल नवाचार को प्रतिबंधों के बजाय विवेकपूर्ण और जवाबदेह नियमन के माध्यम से दिशा देनी चाहिए — जिससे यह उद्योग सुरक्षित, पारदर्शी और सतत रूप से विकसित हो सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *