ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध असंवैधानिक : कर्नाटक उच्च न्यायालय

ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध असंवैधानिक : कर्नाटक उच्च न्यायालय

14 फरवरी, 2022 को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कर्नाटक पुलिस (संशोधन) अधिनियम, 2021 के प्रावधानों को रद्द कर दिया, जिसने ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगा दिया था।

मुख्य बिंदु

इस खंडपीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित ने की।

प्रतिवादियों को ऑनलाइन गेमिंग व्यवसाय और याचिकाकर्ताओं की संबद्ध गतिविधियों में हस्तक्षेप करने से रोकने के लिए परमादेश का एक रिट जारी किया गया था।

कर्नाटक पुलिस (संशोधन) विधेयक, 2021

कानून में घुड़दौड़ को छोड़कर, मौके के किसी भी खेल (game of chance) के संबंध में सभी प्रकार की सट्टेबाजी या दांव लगाना शामिल है। हालांकि, ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने इस कानून का विरोध करते हुए कहा था कि यह नीति कर्नाटक की भविष्य की सम्भावनाओं को प्रभावित करेगी, जो ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के हब के रूप में उभर रहा है।

इस अधिनियम ने राज्य में सभी प्रकार के दांव, सट्टेबाजी और जुए सहित ऑनलाइन गेम के सभी प्रारूपों पर प्रतिबंध लगा दिया।

इसके तहत ऑनलाइन गेमिंग को गैर-जमानती अपराध माना जाता था। इसमें एक लाख रुपये जुर्माना और तीन साल तक की कैद का प्रावधान है।

मोबाइल प्रीमियर लीग (MPL)

MPL कर्नाटक में अपना कामरोकने वाली पहली कंपनियों में से एक थी। पेटीएम फर्स्ट गेम्स को भी बंद किया गया था।

कोर्ट में चुनौती

ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने नए कानून पर सवाल उठाने के लिए अदालत का रुख किया। इसी तरह के कानून को तमिलनाडु में चुनौती दी गई थी।

चिंताएं

इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) के अनुसार, सरकार का नया कानून कर्नाटक की छवि को स्टार्ट-अप हब के रूप में खराब करेगा। इससे राज्य के खजाने में भारी राजस्व घाटा होगा।

Originally written on February 16, 2022 and last modified on February 16, 2022.

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