एसडीजी 11 में भारत की प्रगति: शहरी समावेशन की चुनौतियाँ और संभावनाएँ

संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अंतर्गत भारत ने सतत विकास रिपोर्ट (SDR) 2025 में 167 देशों में से 99वां स्थान प्राप्त किया है, जो पिछले वर्षों के 112 (2023) और 109 (2024) की तुलना में बेहतर है। हालांकि यह सुधार सराहनीय है, फिर भी 17 SDGs में से सात लक्ष्यों में भारत को अब भी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें एसडीजी 11 – “समावेशी, सुरक्षित, लचीले और सतत शहर” – प्रमुख है।

एसडीजी 11 के मुख्य संकेतक और भारत की स्थिति

SDR 2025 के अनुसार, एसडीजी 11 के अंतर्गत चार प्रमुख संकेतक माने गए हैं:

  1. झुग्गियों में रहने वाली शहरी जनसंख्या का अनुपात,
  2. वार्षिक औसत PM 2.5 सांद्रता,
  3. नल द्वारा बेहतर जल स्रोत तक पहुंच, और
  4. सार्वजनिक परिवहन तक सुलभ पहुंच।

इनमें से पहले दो संकेतकों पर भारत की प्रगति स्थिर बनी हुई है, जबकि तीसरे संकेतक – नल जल पहुंच – में गिरावट दर्ज की गई है। 2022 में केवल 65% शहरी घरों को ही पाइप द्वारा जल प्राप्त हुआ, जबकि सतत विकास लक्ष्य इस कवरेज को सार्वभौमिक बनाने की बात करता है। जल की उपलब्धता भी नियमित नहीं है; उदाहरणस्वरूप, PRAJA की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार मुंबई में औसतन केवल 5.37 घंटे प्रतिदिन जल उपलब्ध रहता है।

झुग्गियों में जीवन: विषमता और असमानता का प्रतिबिंब

एसडीजी 11 के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सबसे बड़ी बाधा झुग्गी बस्तियों में रहने वालों की स्थिति है। मुंबई की झुग्गियों में प्रतिदिन औसतन 45 लीटर प्रति व्यक्ति जल उपलब्ध होता है, जबकि राष्ट्रीय मानक 135 लीटर है। जल टैंकरों पर निर्भरता इस वर्ग के लिए जल को 30 गुना महंगा बना देती है।
इसके अतिरिक्त, 2020 की ICRIER रिपोर्ट बताती है कि लगभग 44% झुग्गी परिवार गैर-पक्के, जर्जर या संकुचित मकानों में रहते हैं। अनियोजित शहरीकरण और भूमि व आवास के बाजारीकरण ने सामाजिक और भौगोलिक असमानताओं को और गहरा किया है। यह असमानता लिंग, धर्म, विकलांगता जैसी पहचानों के साथ मिलकर बहुस्तरीय सामाजिक और आर्थिक बहिष्करण को जन्म देती है।

शहरी योजनाएं और समावेशन की चुनौतियाँ

भारत की प्रमुख शहरी योजनाएं जैसे JNNURM और स्मार्ट सिटी मिशन (SCM) ने बड़े शहरों और वाणिज्यिक क्षेत्रों को प्राथमिकता दी है। SCM के अंतर्गत पूर्ण हुए प्रोजेक्ट्स में केवल 18% जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य से संबंधित हैं, जबकि “स्मार्ट मोबिलिटी” को 20% और बसों को केवल 2% परिवहन बजट मिला है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY-U) में भी एलआईजी/ईडब्ल्यूएस वर्ग को क्रेडिट आधारित सहायता दी जाती है, परंतु इन वर्गों की क्रेडिट योग्यता सीमित होने से वे वंचित रह जाते हैं। हालांकि PMAY-U 2.0 में ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए विशेष वित्तीय सहायता और क्रेडिट जोखिम गारंटी की व्यवस्था की गई है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • सतत विकास रिपोर्ट 2025 में भारत 99वें स्थान पर रहा, जबकि 2023 और 2024 में क्रमशः 112 और 109वें स्थान पर था।
  • मुंबई की झुग्गियों में प्रतिदिन जल आपूर्ति औसतन 45 लीटर प्रति व्यक्ति है, जो मानक से तीन गुना कम है।
  • स्मार्ट सिटी मिशन के तहत स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ी परियोजनाएं केवल 18% हैं।
  • 2024 की आरबीआई रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 50% से अधिक नगरपालिकाएं अपने राजस्व व्यय का आधा भी अपने संसाधनों से पूरा नहीं कर पाईं।

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