एटूरनग्राम वन्यजीव अभयारण्य में तितली और पतंगे सर्वेक्षण
तेलंगाना के मुलुगु जिले स्थित एटूरनग्राम वन्यजीव अभयारण्य में 6 से 9 नवंबर तक एक विशेष तितली और पतंगे सर्वेक्षण आयोजित किया जा रहा है। यह आयोजन न केवल जैव विविधता को जानने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों और जीवविज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए एक शैक्षिक अनुभव भी होगा।
सर्वेक्षण का उद्देश्य और आयोजन
यह चार दिवसीय सर्वेक्षण ओरुगल्लु वाइल्डलाइफ सोसाइटी (OWLS) द्वारा WWF-इंडिया, बटरफ्लाई कंजर्वेशन सोसाइटी और तेलंगाना की मथ सोसाइटी के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य एटूरनग्राम अभयारण्य में पाई जाने वाली तितलियों और पतंगों की प्रजातियों का दस्तावेज़ीकरण करना और उनकी पारिस्थितिकी को समझना है। सर्वेक्षण टीमों में विभाजित होकर किया जाएगा, जिनके साथ वन विभाग के गार्ड्स भी होंगे।
प्रतिभागिता और प्रक्रिया
सर्वेक्षण में भाग लेने के इच्छुक व्यक्ति 6 नवंबर को मुलुगु के DFO कार्यालय में एकत्रित होंगे। यह आयोजन 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के उन व्यक्तियों के लिए खुला है जो लंबी दूरी पैदल चलने में सक्षम हैं और प्रकृति को नजदीक से जानने में रुचि रखते हैं। अनुभव रखने वाले सर्वेक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी और कुल स्लॉट्स में से 10% उनके लिए आरक्षित हैं।
प्रतिभागिता शुल्क ₹2,000 निर्धारित किया गया है, और इच्छुक व्यक्ति 15 अक्टूबर तक आवेदन फॉर्म भरकर पंजीकरण कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए नागेश्वर राव इंदराम से 9985549900 पर संपर्क किया जा सकता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- एटूरनग्राम वन्यजीव अभयारण्य तेलंगाना के सबसे पुराने संरक्षित क्षेत्रों में से एक है, जिसकी स्थापना 1952 में हुई थी।
- यह अभयारण्य गोदावरी नदी के तट पर स्थित है और इसका क्षेत्रफल लगभग 812 वर्ग किलोमीटर है।
- यहां चीतल, तेंदुआ, नीलगाय, भालू और कई पक्षी व कीट प्रजातियां पाई जाती हैं।
- तितलियां पारिस्थितिक तंत्र में परागणकर्ता और जैव विविधता संकेतक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
एटूरनग्राम अभयारण्य में आयोजित यह सर्वेक्षण पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। यह न केवल जीवविज्ञान में रुचि रखने वाले युवाओं को प्रशिक्षित करेगा, बल्कि जैव विविधता के प्रति समाज में जागरूकता भी बढ़ाएगा। ऐसे आयोजन भारत में संरक्षण आधारित विज्ञान को जमीनी स्तर तक ले जाने का माध्यम बनते हैं।