एक देश, एक चुनाव: विधि आयोग ने दी संवैधानिक वैधता

एक देश, एक चुनाव: विधि आयोग ने दी संवैधानिक वैधता

विधि आयोग ने संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को सूचित किया है कि संसद को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के पांच वर्षीय कार्यकाल में संशोधन करने का स्पष्ट संवैधानिक अधिकार है, ताकि देश में एक साथ चुनाव कराए जा सकें। आयोग की यह राय ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक देश, एक चुनाव) प्रस्ताव को कानूनी समर्थन प्रदान करती है, जो शासन स्थिरता और प्रशासनिक सुगमता की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

संसद की संवैधानिक शक्ति

विधि आयोग ने अपने प्रस्तुतिकरण में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 83 और 172 के तहत निर्धारित अवधि कठोर या अपरिवर्तनीय नहीं है। आयोग के अनुसार, साधारण कानून से इन अवधियों में बदलाव संभव नहीं, लेकिन संविधान संशोधन के माध्यम से यह पूरी तरह वैध है। संविधान की संरचना संसद को यह अधिकार देती है कि वह व्यापक जनहित में आवश्यक होने पर इन अवधियों को परिवर्तित कर सके।

संवैधानिक लचीलापन और उदाहरण

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि संविधान में पहले से ही कई ऐसे प्रावधान हैं जो कार्यकाल में लचीलापन दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए, संसद या विधानसभा का समयपूर्व विघटन या राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान कार्यकाल का विस्तार यह सिद्ध करता है कि पांच वर्ष की अवधि को अटल नहीं माना गया है। इन व्यवस्थाओं से यह संकेत मिलता है कि संवैधानिक ढांचा बदलते राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य के अनुरूप कार्यकाल को समायोजित करने की क्षमता रखता है।

सार्वजनिक हित और समकालिक चुनाव

विधि आयोग का मत है कि यदि देश में सभी चुनाव एक साथ कराए जाएं तो इससे शासन की स्थिरता बढ़ेगी, निरंतर चुनावी व्यय में कमी आएगी और प्रशासनिक कार्यों में बार-बार आने वाले व्यवधान समाप्त होंगे। आयोग ने यह भी कहा कि कार्यकाल समायोजन का उद्देश्य लोकतांत्रिक ढांचे को सशक्त बनाना है, जिससे सरकारें दीर्घकालिक नीतियों पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

राज्यों की मंजूरी और चुनाव आयोग की भूमिका

विधि आयोग ने यह स्पष्ट किया कि प्रस्तावित संवैधानिक संशोधन अनुच्छेद 368(2) के अंतर्गत उन श्रेणियों में नहीं आता जिनके लिए आधे राज्यों की मंजूरी आवश्यक होती है। साथ ही, चुनाव आयोग को सौंपी जाने वाली अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ उसकी मौजूदा संवैधानिक शक्तियों के अनुरूप हैं और इसे अति-प्राधिकरण नहीं माना जा सकता।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • अनुच्छेद 83 और 172: संसद और राज्य विधानसभाओं का पांच वर्षीय कार्यकाल निर्धारित करते हैं।
  • अनुच्छेद 368: संविधान संशोधन की प्रक्रिया बताता है।
  • अनुच्छेद 324: चुनाव आयोग को चुनाव कराने का अधिकार देता है।
  • आपातकाल की स्थिति में संसद का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।

संविधान की मूल भावना जनहित और शासन स्थिरता पर आधारित है। विधि आयोग का यह मत ‘एक देश, एक चुनाव’ की दिशा में एक ठोस संवैधानिक आधार प्रस्तुत करता है, जिससे आने वाले समय में चुनावी प्रक्रिया अधिक संगठित और प्रभावी रूप से संचालित हो सकेगी।

Originally written on November 28, 2025 and last modified on November 28, 2025.

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