एकीकृत डिजिटल पोर्टल के ज़रिए व्यापार में सहूलियत: ‘नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम’ और ‘जन विश्वास 2.0’ की नई पहल

भारत सरकार व्यापारियों की अनुमतियों, पंजीकरणों और अनुपालनों की सूची तैयार करने में जुटी है, ताकि दोहराव वाले नियमों को हटाया जा सके और प्रक्रियाओं को सरल किया जा सके। यह कवायद ‘नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम’ (NSWS) और ‘जन विश्वास 2.0’ जैसे सुधारों का हिस्सा है, जिनका उद्देश्य देश में व्यापार करने की सुविधा को बढ़ावा देना है।
नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (NSWS): एकीकृत मंच
NSWS, जिसे 2021 में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने लॉन्च किया था, निवेशकों को एक ही पोर्टल से सभी केंद्रीय और राज्य स्तरीय अनुमतियाँ प्राप्त करने में सहायता करता है। इससे निवेशकों को कई पोर्टलों पर अलग-अलग आवेदन और सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
वर्तमान में:
- 32 केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों की अनुमतियाँ पोर्टल पर उपलब्ध हैं।
- 29 राज्य सरकारों की 6,880 अनुमतियाँ और 671 केंद्रीय अनुमतियाँ शामिल हैं।
- अब तक वाहन स्क्रैपिंग नीति, सौर पीवी मॉड्यूल, चमड़ा नीति जैसे कई सरकारी योजनाओं को भी पोर्टल से जोड़ा जा चुका है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- DPIIT (उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग) इस पहल का नेतृत्व कर रहा है।
- अब तक 400 से अधिक निवेशकों ने DPIIT की योजनाओं के लिए आवेदन किया है।
- NSWS निवेश प्रस्तावों की त्वरित स्वीकृति सुनिश्चित करता है।
जन विश्वास 2.0: कानूनों का सरलीकरण
सरकार ने जन विश्वास अधिनियम, 2023 के तहत पहले ही 180 से अधिक कानूनों को अपराधमुक्त किया है, जिनमें कॉपीराइट, पेटेंट, ट्रेडमार्क, भौगोलिक संकेतक अधिनियम जैसे शामिल हैं। अब जन विश्वास 2.0 के तहत 100 से अधिक पुराने कानूनों को अपराधमुक्त करने की तैयारी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि तकनीकी और प्रक्रियात्मक त्रुटियों को आपराधिक दायरे से हटाकर केवल आर्थिक जुर्माना लगाया जाएगा।
उद्योग संगठनों से सुझाव
उद्योग संघों ने मंत्रालयों से आग्रह किया है कि वे मंत्रालयवार अनुमतियों की पूरी सूची तैयार करें और ऐसी अनुमतियों को समाप्त करें जो इस सूची से बाहर हों। इससे निवेशकों की अनिश्चितता कम होगी और व्यवसाय प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी।
निष्कर्ष
NSWS और जन विश्वास 2.0 जैसे प्रयास भारत में कारोबारी माहौल को सरल, पारदर्शी और निवेशक अनुकूल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इन पहलों से न केवल घरेलू, बल्कि विदेशी निवेशकों को भी देश में निवेश के लिए अधिक भरोसा मिलेगा, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को गति मिलने की संभावना है।