एआई प्रशिक्षण और कॉपीराइट पर सरकार का नया प्रस्ताव: वेब कंटेंट के उपयोग को लेकर बड़ा बदलाव

एआई प्रशिक्षण और कॉपीराइट पर सरकार का नया प्रस्ताव: वेब कंटेंट के उपयोग को लेकर बड़ा बदलाव

भारत सरकार के एक कार्यकारी पत्र (वर्किंग पेपर) ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) मॉडल्स के प्रशिक्षण के लिए ऑनलाइन कंटेंट के उपयोग की प्रणाली में व्यापक बदलाव का सुझाव दिया है। यह प्रस्ताव एआई डेवलपर्स को खुले वेब कंटेंट तक डिफ़ॉल्ट पहुंच प्रदान करने का पक्षधर है, साथ ही प्रकाशकों को ‘ऑप्ट-आउट’ का अधिकार न देने की बात कहता है। यह मुद्दा अब देश में एआई और कॉपीराइट कानूनों की दिशा तय करने वाला प्रमुख विषय बन गया है।

प्रस्ताव की मुख्य सिफारिशें

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) की एक समिति द्वारा तैयार इस रिपोर्ट के अनुसार:

  • एआई डेवलपर्स को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध ऑनलाइन सामग्री का उपयोग प्रशिक्षण के लिए बिना किसी पूर्व अनुमति के करना चाहिए।
  • प्रकाशक एआई सिस्टम को अपनी सामग्री से ‘ऑप्ट-आउट’ करने की अनुमति न दे सकें।
  • एक गैर-लाभकारी संगठन, कॉपीराइट सोसायटी की तरह, सभी कंटेंट रचनाकारों (सदस्य व गैर-सदस्य) के लिए रॉयल्टी एकत्र करेगा और वितरित करेगा।
  • इस व्यवस्था से व्यक्तिगत स्तर पर सौदेबाजी की आवश्यकता समाप्त होगी और प्रणाली अधिक व्यावहारिक रूप में लागू हो सकेगी।

नासकॉम का विरोध और उद्योग जगत की चिंताएँ

भारतीय आईटी उद्योग संस्था नासकॉम (NASSCOM) ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि यह नवाचार पर “कर” लगाने जैसा होगा।

  • नासकॉम का मानना है कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध और गैर-पेवाल्ड कंटेंट पर किसी भी प्रकार की रॉयल्टी बाध्यकारी नहीं होनी चाहिए।
  • संस्था ने यह भी कहा कि ओपन और प्रतिबंधित वेबसाइट दोनों के प्रकाशकों को यह अधिकार मिलना चाहिए कि वे अपनी सामग्री को एआई प्रशिक्षण के लिए आरक्षित रख सकें।
  • समिति ने नासकॉम की आपत्तियों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि छोटे रचनाकारों के लिए निगरानी और अनुबंध करना व्यावहारिक नहीं है।

कानूनी विवादों और एआई गवर्नेंस पर प्रभाव

यह प्रस्ताव ऐसे समय पर आया है जब डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन द्वारा एक प्रमुख एआई डेवलपर पर कॉपीराइट उल्लंघन का मुकदमा भी दर्ज किया गया है।

  • रिपोर्ट का मानना है कि लंबे समय तक चलने वाली कानूनी लड़ाइयाँ समाधान नहीं हैं।
  • इसके बदले यह प्रस्ताव “स्टैच्युटरी मॉडल” का सुझाव देता है, जैसा रेडियो में संगीत के लिए अनिवार्य लाइसेंसिंग की व्यवस्था है।
  • यह मॉडल डेटा उपयोग को वैध बनाकर एआई प्रशिक्षण को सुगम बना सकता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • DPIIT के वर्किंग पेपर में एआई सिस्टम को ओपन वेब कंटेंट तक डिफ़ॉल्ट एक्सेस देने का प्रस्ताव है।
  • एक गैर-लाभकारी संस्था रॉयल्टी संग्रह और वितरण की जिम्मेदारी निभाएगी।
  • नासकॉम ने इस प्रणाली को नवाचार विरोधी बताते हुए असहमति जताई है।
  • यह मॉडल भारत के रेडियो प्रसारण क्षेत्र में लागू अनिवार्य लाइसेंसिंग नीति से प्रेरित है।

रॉयल्टी वितरण और संभावित असहमति

प्रस्तावित गैर-लाभकारी संस्था वेबसाइट ट्रैफिक, प्रकाशक की प्रतिष्ठा जैसी मापदंडों के आधार पर रॉयल्टी का वितरण करेगी।

  • एआई डेवलपर्स को संभावित उच्च लागत का डर है, जबकि कंटेंट क्रिएटर्स को अपने योगदान की उपेक्षा का।
  • प्रस्ताव के अंतर्गत उत्पन्न होने वाले विवादों की न्यायिक अपील की व्यवस्था होगी, जिससे नीतिगत पारदर्शिता बनी रह सकेगी।

यह मसौदा भारत की एआई नीति और कॉपीराइट संरचना को नई दिशा दे सकता है, जिसमें नवाचार और रचनात्मक अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करने की चुनौती प्रमुख होगी।

Originally written on December 11, 2025 and last modified on December 11, 2025.

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