एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस पर भारत की नई राष्ट्रीय कार्ययोजना: सार्वजनिक स्वास्थ्य की बड़ी पहल

एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस पर भारत की नई राष्ट्रीय कार्ययोजना: सार्वजनिक स्वास्थ्य की बड़ी पहल

भारत ने बढ़ते एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) के खतरे से निपटने के लिए अपनी नई राष्ट्रीय कार्ययोजना (2025–29) लॉन्च की है। नई दिल्ली में विश्व एएमआर जागरूकता सप्ताह के अवसर पर जारी की गई यह योजना 2017 में शुरू की गई पहली कार्ययोजना के अनुभवों पर आधारित है। इसका उद्देश्य मानव, पशु, कृषि और पर्यावरण क्षेत्रों के बीच समन्वित प्रयासों के माध्यम से संक्रमण-प्रतिरोधी जीवाणुओं की समस्या पर नियंत्रण पाना है।

NAP-AMR 2.0 की प्रमुख विशेषताएँ

इस नई योजना को “वन हेल्थ” दृष्टिकोण के तहत तैयार किया गया है, जो मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण के परस्पर संबंधों को जोड़ता है। इसमें 20 से अधिक मंत्रालयों और विभागों की स्पष्ट भूमिकाएँ, बजट और समय-सीमा तय की गई हैं ताकि क्रियान्वयन में तालमेल बना रहे।पहली योजना में सामने आए समन्वय और जवाबदेही से जुड़े अंतरालों को इस संस्करण में विशेष रूप से संबोधित किया गया है। इसके तहत प्रयोगशाला नेटवर्क को मजबूत करने, संक्रमण नियंत्रण प्रणाली में सुधार करने और जिम्मेदार एंटीबायोटिक उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।

स्वास्थ्य जोखिम और कार्रवाई की आवश्यकता

एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस आज विश्व स्तर पर एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है। एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक और गलत उपयोग से ऐसे जीवाणु विकसित हो रहे हैं जिन पर दवाएं असर नहीं करतीं। इससे सर्जरी, कैंसर उपचार और गहन चिकित्सा जैसी प्रक्रियाओं की प्रभावशीलता घट रही है। भारत की नई योजना इस खतरे को समय रहते नियंत्रित करने और मौजूदा दवाओं की उपयोगिता को बनाए रखने पर केंद्रित है।

रणनीतिक उद्देश्य और प्रमुख गतिविधियाँ

NAP-AMR 2.0 में छह प्रमुख उद्देश्य तय किए गए हैं

  1. जन-जागरूकता बढ़ाना
  2. निगरानी और डेटा-संग्रह प्रणाली को सुदृढ़ करना
  3. संक्रमण नियंत्रण उपायों को सशक्त बनाना
  4. जिम्मेदार दवा उपयोग (Antimicrobial Stewardship) को बढ़ावा देना
  5. अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करना
  6. शासन और निगरानी व्यवस्था को सुदृढ़ करना

इसके तहत प्रयोगशालाओं का नेटवर्क विस्तार, एंटीबायोटिक अवशेषों की निगरानी, संक्रमण-नियंत्रण ढांचे का उन्नयन और नई दवाओं व डायग्नोस्टिक तकनीकों पर अनुसंधान को प्राथमिकता दी गई है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत ने पहली बार राष्ट्रीय एएमआर कार्ययोजना वर्ष 2017 में शुरू की थी।
  • विश्व एएमआर जागरूकता सप्ताह हर साल 18 से 24 नवंबर तक मनाया जाता है।
  • “वन हेल्थ” दृष्टिकोण मानव, पशु, कृषि और पर्यावरण क्षेत्रों को जोड़ता है।
  • एएमआर से सामान्य सर्जरी और कैंसर उपचार की सफलता पर गंभीर खतरा उत्पन्न होता है।

नई कार्ययोजना के तहत प्रत्येक मंत्रालय विस्तृत रोडमैप तैयार करेगा और निजी स्वास्थ्य संस्थानों, उद्योग, शैक्षणिक निकायों, सहकारी संगठनों, एनजीओ और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ सहयोग करेगा। यह बहु-क्षेत्रीय रणनीति भारत के अगले पाँच वर्षों के लिए एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस के खिलाफ सशक्त और सतत राष्ट्रीय कार्रवाई का आधार बनेगी।

Originally written on November 19, 2025 and last modified on November 19, 2025.

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