ऊर्जा आत्मनिर्भरता की राह में नियामकीय अड़चनें: नवीकरणीय ऊर्जा विकास के लिए व्यापक सुधार की ज़रूरत

भारत की ऊर्जा सुरक्षा की चर्चा परंपरागत रूप से कोयला, तेल और गैस जैसे जीवाश्म ईंधनों की उपलब्धता, विश्वसनीयता और वहनीयता के दायरे में होती रही है। लेकिन वैश्विक तापवृद्धि और भारत के 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य के संदर्भ में यह सोच अब बेहद सीमित हो चुकी है। भारत अब दोहरी ऊर्जा रणनीति पर कार्य कर रहा है—एक ओर जीवाश्म ईंधनों की मांग है, दूसरी ओर सौर, पवन और जैव ऊर्जा जैसे नवीकरणीय विकल्पों की ओर बढ़ने की कोशिश।
पारंपरिक ऊर्जा सुरक्षा में भारत की उपलब्धियाँ
पिछले वर्षों में भारत ने कच्चे तेल के विविध स्रोतों को अपनाकर और रूस पर प्रतिबंध लगाने के पश्चिमी दबाव को अस्वीकार कर ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को लचीला बनाया है। 2024-25 में भारत के कच्चे तेल आयात में रूस का हिस्सा 2.1% से बढ़कर 35.1% हो गया, जिससे प्रति बैरल औसत लागत में $2 की कमी आई। इसके साथ ही प्रति GDP इकाई जीवाश्म ईंधन की मांग में भी कमी दर्ज की गई है।
नवीकरणीय ऊर्जा: क्षमता में वृद्धि, लेकिन रुकावटें बरकरार
हालांकि नवीकरणीय ऊर्जा की उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है—पांच वर्षों में यह 19% से बढ़कर 49% (234 GW) हो गई है—लेकिन यह प्रगति असमान रही है। उत्पादन क्षमता तो बढ़ी, परंतु ट्रांसमिशन और वितरण ढांचे का विकास उस गति से नहीं हो पाया।
सबसे बड़ी बाधा है नियामकीय जटिलताएँ। Team Lease Regtech की रिपोर्ट के अनुसार, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को 35 राज्य और केंद्रीय निकायों तथा 30 सरकारी विभागों के अंतर्गत 2,735 अनुपालनों का पालन करना होता है, जिनमें से 60% मैनुअली भरने और अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करने होते हैं। 1 मेगावाट सौर संयंत्र के लिए 100 से अधिक लाइसेंस और अनुमतियों की आवश्यकता होती है।
नियामकीय विखंडन और निवेश हतोत्साह
ऊर्जा क्षेत्र में कई नियामक एजेंसियों की उपस्थिति, न तो स्पष्ट जवाबदेही तय करती है, न ही समयबद्ध निर्णयों की गारंटी देती है। जमीन अधिग्रहण, पर्यावरण मंजूरी, श्रम कानूनों और सुरक्षा मापदंडों में असंगति निवेशकों के लिए बड़ा अवरोध बनती है। नतीजा यह होता है कि उत्पादन क्षमता तो बढ़ती है, लेकिन उसका उपभोग योग्य उपयोग — यानी ‘usable renewable power’ — सीमित रह जाता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत का नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य: 2035 तक 500 GW usable renewable power।
- वर्तमान में नवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्पादन क्षमता: 234 GW (49%)।
- Team Lease Regtech की रिपोर्ट के अनुसार 1 MW सौर संयंत्र के लिए 100+ अनुमतियाँ आवश्यक।
- ऊर्जा के लिए भारत की जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो रही है, लेकिन नियामकीय सुधार धीमा है।
समाधान का रास्ता: नियामकीय पुनर्गठन
भारत सरकार के पास वह दुर्लभ अवसर है जहाँ ऊर्जा स्रोतों (सूरज, पवन) की कोई भौगोलिक सीमा नहीं है। इसलिए चुनौती केवल तकनीकी या आर्थिक नहीं, बल्कि संस्थागत और नीतिगत है। एक समर्पित कार्यकारी प्राधिकरण बनाकर नियामकीय प्रक्रियाओं का केंद्रीकरण, डिजिटलीकरण और सरलीकरण किया जा सकता है। इसके लिए ज़रूरी है:
- अनुमतियों को एकीकृत और ऑनलाइन करना।
- भूमि अधिग्रहण में स्पष्टता और पारदर्शिता लाना।
- नेटवर्क शुल्क निर्धारण और विवाद समाधान प्रक्रियाओं को तेज़ करना।
- तकनीकी मानकों और सुरक्षा प्रोटोकॉल को समरूप बनाना।