उष्णकटिबंधीय वनों की कटाई से हर साल होती हैं 28,000 से अधिक अतिरिक्त मौतें: अध्ययन

उष्णकटिबंधीय वनों की कटाई से हर साल होती हैं 28,000 से अधिक अतिरिक्त मौतें: अध्ययन

हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में वनों की व्यापक कटाई के कारण स्थानीय तापमान में भारी वृद्धि हुई है, जिससे 2001 से 2020 के बीच हर साल औसतन 28,000 अतिरिक्त मौतें दर्ज की गई हैं। यह अध्ययन ‘नेचर क्लाइमेट चेंज’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है और इसमें बताया गया है कि वनों के विनाश से न केवल जैव विविधता और जलवायु चक्र प्रभावित हुए हैं, बल्कि मानव जीवन पर भी गंभीर असर पड़ा है।

वनों की कटाई से बढ़ा स्थानीय तापमान

अध्ययन के अनुसार, वनों की कटाई से प्रभावित क्षेत्रों में दिन के समय की सतह का तापमान औसतन 0.27 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया। दक्षिण-पूर्व एशिया में यह वृद्धि सबसे अधिक (0.72°C) रही, इसके बाद अफ्रीका और अमेरिका में गर्मी का प्रभाव देखा गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन क्षेत्रों में वनों की कटाई 2% से अधिक हुई, वहां तापमान वृद्धि औसत से कई गुना अधिक रही। अमेजन के ‘आर्क ऑफ डिफॉरेस्टेशन’, इंडोनेशिया के सुमात्रा और कालिमंतान जैसे क्षेत्रों में सबसे ज्यादा तापमान वृद्धि दर्ज की गई।

करोड़ों लोग गर्मी की चपेट में

लगभग 345 मिलियन लोग वनों की कटाई से उत्पन्न गर्मी के संपर्क में आए। इनमें से 33 मिलियन लोगों ने +1°C से अधिक की गर्मी का अनुभव किया, जबकि 2.6 मिलियन लोग ऐसे क्षेत्र में रहे जहां तापमान वृद्धि +3°C से भी अधिक रही। इन तापमानों का सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ा, जिससे हर साल लगभग 28,330 अतिरिक्त मौतें हुईं। इनमें से 15,680 मौतें अकेले दक्षिण-पूर्व एशिया में हुईं, जो जनसंख्या घनत्व और सामाजिक-आर्थिक कमजोरियों के कारण सबसे अधिक प्रभावित रहा।

सतत विकास के लिए चेतावनी

अध्ययन में यह भी बताया गया कि वनों की कटाई के चलते न केवल स्थानीय स्तर पर गर्मी बढ़ी है, बल्कि इससे वैश्विक स्तर पर भी जलवायु संकट और तेज हुआ है। 2014 से 2023 के बीच वनों की कटाई से हर साल औसतन 1.7 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित हुआ, जो वैश्विक मानवनिर्मित उत्सर्जन का लगभग 15% है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इन मौतों की संख्या वास्तव में अधिक हो सकती है क्योंकि इसमें अप्रत्यक्ष प्रभाव जैसे व्यापक क्षेत्रीय गर्मी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं शामिल नहीं हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में वनों की कटाई के कारण प्रतिवर्ष औसतन 28,330 अतिरिक्त मौतें होती हैं।
  • दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे अधिक तापमान वृद्धि (+0.72°C) और सबसे ज्यादा मौतें दर्ज की गईं।
  • ‘आर्क ऑफ डिफॉरेस्टेशन’ ब्राज़ील के अमेज़न क्षेत्र में सबसे अधिक वन विनाश वाला क्षेत्र है।
  • वनों की कटाई से हर साल लगभग 1.7 गीगाटन CO₂ उत्सर्जित होता है, जो वैश्विक उत्सर्जन का 15% है।

वनों की कटाई से जुड़ी यह रिपोर्ट एक गंभीर चेतावनी है कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ केवल पर्यावरण को नहीं, बल्कि मानव जीवन को भी सीधा नुकसान पहुंचा रही है। वनों का संरक्षण अब केवल पर्यावरणीय मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना से भी गहराई से जुड़ गया है। समय की मांग है कि वैश्विक स्तर पर नीतियां बनाकर सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।

Originally written on September 1, 2025 and last modified on September 1, 2025.

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