उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के बाद शिशु मृत्यु दर में बढ़ोतरी: नए शोध से सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े

हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के संपर्क में आने के बाद निम्न और मध्यम आय वाले देशों में शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह शोध Science Advances में प्रकाशित हुआ और इसमें कहा गया है कि चक्रवात चाहे कितने भी तीव्र हों, वे गर्भस्थ या नवजात शिशुओं के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं।
चक्रवातों के बाद 11 प्रतिशत तक बढ़ी मृत्यु दर
अध्ययन के अनुसार, जिन बच्चों का जन्म चक्रवात के दौरान या उसके एक वर्ष के भीतर हुआ, उनकी मृत्यु की संभावना औसतन 11 प्रतिशत अधिक पाई गई। यह दर 1,000 जीवित जन्मों पर 4.4 अतिरिक्त मौतों के बराबर है। यह जोखिम विशेष रूप से चक्रवात के बाद पहले वर्ष में सबसे अधिक होता है और दो वर्षों के भीतर सामान्य स्थिति में लौट आता है।
चक्रवातों की तीव्रता नहीं, बल्कि आवृत्ति बनी खतरा
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि केवल बड़े तूफान ही नहीं, बल्कि अपेक्षाकृत कम तीव्रता वाले उष्णकटिबंधीय तूफान भी शिशु मृत्यु दर को प्रभावित कर सकते हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती तूफानों की आवृत्ति भविष्य में अधिक व्यापक जनस्वास्थ्य संकट पैदा कर सकती है।
देश दर देश प्रभाव: भारत में तुलनात्मक रूप से कम असर
शोध में सात देशों — बांग्लादेश, भारत, हाइती, फिलीपींस, कंबोडिया, मेडागास्कर और डोमिनिकन रिपब्लिक — के लगभग 17 लाख बच्चों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया। इनमें बांग्लादेश, हाइती और डोमिनिकन रिपब्लिक में मृत्यु दर में 10 से अधिक मौतें प्रति 1,000 जन्म दर्ज की गईं, जबकि भारत, मेडागास्कर, कंबोडिया और फिलीपींस में प्रभाव अपेक्षाकृत कम रहा।
संभावित कारण और आगे की दिशा
हालांकि मृत्यु दर बढ़ने के सटीक कारण स्पष्ट नहीं हैं, शोधकर्ताओं ने बताया कि यह कुपोषण या स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से संबंधित नहीं है। यह संकेत करता है कि अन्य अप्रत्याशित कारक, जैसे अस्थायी विस्थापन, पर्यावरणीय विषाक्तता या संक्रमण, इसके पीछे हो सकते हैं। साथ ही यह भी देखा गया कि जिन देशों की भौगोलिक संरचना अधिक पर्वतीय है या जहां आपदा प्रबंधन मजबूत है, वहां असर कम रहा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को अलग-अलग क्षेत्रों में हरीकेन, टाइफून या साइक्लोन कहा जाता है।
- ये समुद्र की गर्म सतह से ऊर्जा प्राप्त करते हैं और तीव्रता में वृद्धि कर सकते हैं जब तक गर्म जल पर बने रहते हैं।
- एक औसत चक्रवात का व्यास लगभग 320 किलोमीटर होता है और इसके केंद्र में ‘आंख’ (eye) होती है जहां वातावरण अपेक्षाकृत शांत होता है।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात के सबसे खतरनाक हिस्से को ‘आईवॉल’ कहा जाता है जहां सबसे अधिक वर्षा और तेज हवाएं होती हैं।
- चक्रवातों से संबंधित तूफान लहरें (storm surge) तटीय क्षेत्रों में सबसे अधिक जानलेवा सिद्ध होती हैं, जैसे कि 1970 में बांग्लादेश में आई 9 मीटर ऊंची लहर।
यह शोध स्पष्ट करता है कि जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न आपदाओं के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा के लिए वैश्विक स्तर पर ठोस रणनीतियों की आवश्यकता है। चक्रवातों के मानवीय प्रभाव को कम करने के लिए न केवल बेहतर पूर्व चेतावनी प्रणाली की जरूरत है, बल्कि मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करना भी अनिवार्य है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो बार-बार आपदाओं की चपेट में आते हैं।