उल्फा-आई के वरिष्ठ नेता अरुणोदय दाहोतिया ने किया आत्मसमर्पण
संघर्षग्रस्त असम में उग्रवाद खत्म करने के प्रयासों को बल तब मिला जब यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम–इंडिपेंडेंट (ULFA-I) के वरिष्ठ नेता अरुणोदय दाहोतिया ने अरुणाचल प्रदेश के भारत–म्यांमार सीमा क्षेत्र में आत्मसमर्पण कर दिया। यह कदम राज्य सरकार की शांति पहल के लिए एक महत्वपूर्ण प्रगति माना जा रहा है।
उल्फा-आई के प्रमुख सदस्य का भूमिगत जीवन से विदा
अरुणोदय दाहोतिया, जिन्हें संगठन में अरुणोदय असम या बिजित गोगोई के नाम से भी जाना जाता है, उल्फा-आई में वित्त सचिव (Finance Secretary) के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने 2002 में संगठन में शामिल होकर इसके प्रमुख परेश बरुआ के करीबी सहयोगी के रूप में पहचान बनाई। दाहोतिया की भूमिका पूर्वी असम के अभियानों में सक्रिय रही और उन पर कई उग्रवादी घटनाओं में शामिल होने के आरोप हैं।
कानूनी आरोप और सुरक्षा दृष्टिकोण
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दाहोतिया पर कई मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया है। इनमें सबसे गंभीर आरोप 2018 में तिनसुकिया जिले में पुलिस अधिकारी भास्कर कलिता की हत्या से जुड़ा है, जो एक मुठभेड़ के दौरान हुई थी। इसके अलावा, उन पर वसूली और सशस्त्र गतिविधियों में शामिल रहने के भी आरोप हैं। अधिकारियों के अनुसार, आत्मसमर्पण के बाद उन्हें तिनसुकिया में हिरासत में रखा गया है और आगे की प्रक्रिया के लिए गुवाहाटी लाया जा सकता है, हालांकि उन्हें असम के बाहर भेजने की कोई योजना नहीं है।
सरकार का रुख और शांति वार्ता की संभावना
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दाहोतिया के आत्मसमर्पण का स्वागत करते हुए कहा कि किसी भी सार्थक शांति प्रक्रिया के लिए परेश बरुआ की भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने दोहराया कि राज्य सरकार हिंसा के बजाय संवाद के मार्ग पर विश्वास रखती है और जो भी उग्रवादी संगठन मुख्यधारा में लौटना चाहता है, उसके लिए रास्ते खुले हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम–इंडिपेंडेंट (ULFA-I) की स्थापना 1980 के दशक में असम आंदोलन के दौरान हुई थी।
- संगठन का संचालन मुख्य रूप से भारत–म्यांमार सीमा क्षेत्र से होता है।
- संगठन का नेतृत्व परेश बरुआ के हाथों में है, जो किसी भी शांति वार्ता में मुख्य निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
- दृष्टि राजखोवा, उल्फा-आई के 109वीं बटालियन के प्रमुख, ने 2019 में आत्मसमर्पण किया था।
उल्फा-आई में घटती सक्रियता और शांति की दिशा
अरुणोदय दाहोतिया का आत्मसमर्पण उल्फा-आई की संरचना में गिरावट का संकेत है। इससे पहले दृष्टि राजखोवा और अन्य वरिष्ठ सदस्यों के आत्मसमर्पण ने भी संगठन की ताकत को कमजोर किया था। यह घटनाएँ इस ओर इशारा करती हैं कि असम में लंबे समय से जारी उग्रवाद धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ रहा है और राज्य शांति व विकास के नए दौर में प्रवेश कर रहा है।