उरुग्वे में इच्छामृत्यु वैध: लैटिन अमेरिका में ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत

दक्षिण अमेरिकी देश उरुग्वे ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए इच्छामृत्यु (Euthanasia) को वैध करार देने वाला कानून पारित कर दिया है। 15 अक्टूबर 2025 को देश की सीनेट ने बहुमत से इस कानून को मंजूरी दी, जिससे उरुग्वे लैटिन अमेरिका का पहला ऐसा प्रमुख कैथोलिक राष्ट्र बन गया है जिसने विधायी प्रक्रिया के माध्यम से इच्छामृत्यु को कानूनी मान्यता दी है। इससे पहले कोलंबिया और इक्वाडोर में यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों द्वारा मान्य हुआ था।
कानून की प्रमुख विशेषताएँ
उरुग्वे का यह नया कानून उन लोगों को इच्छामृत्यु का अधिकार देता है जो लाइलाज और असहनीय पीड़ा देने वाली बीमारियों से पीड़ित हैं, भले ही उनकी स्थिति घातक (टर्मिनल) न हो। कानून के तहत:
- इच्छामृत्यु केवल स्वास्थ्य पेशेवर द्वारा की जा सकती है, न कि स्वयं द्वारा (assisted suicide)।
- इसमें जीवन प्रत्याशा की कोई समयसीमा नहीं है, यानी छह महीने या एक वर्ष जैसी बाध्यता नहीं है।
- मरीज को मानसिक रूप से सक्षम होना चाहिए, और मानसिक बीमारियों के मामलों में दो डॉक्टरों की पुष्टि अनिवार्य होगी।
- यह कानून नाबालिगों को इच्छामृत्यु की अनुमति नहीं देता।
धार्मिक विरोध और सामाजिक समर्थन
उरुग्वे में कैथोलिक चर्च ने इस कानून का विरोध किया। मोंटेवीडियो के आर्चबिशप डेनियल स्टरला ने इसे “जीवन के उपहार” के विरुद्ध बताया और लोगों से इसे रोकने की अपील की। लेकिन उरुग्वे में धर्मनिरपेक्षता की गहरी जड़ें हैं — यहां शपथ ग्रहण में ईश्वर का उल्लेख निषिद्ध है और क्रिसमस को “फैमिली डे” के रूप में मनाया जाता है। यही कारण है कि धार्मिक विरोध के बावजूद, यह कानून पारित हो गया।
सरकारी गठबंधन के नेताओं ने इस कानून को मानवीय गरिमा से जोड़ते हुए, इसे समलैंगिक विवाह और तलाक जैसे सामाजिक सुधारों की कड़ी बताया। सेन डेनियल बोरबोनेट ने कहा, “जीवन एक अधिकार है, न कि अनिवार्यता, विशेषकर जब पीड़ा असहनीय हो जाए।”
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- उरुग्वे पहला लैटिन अमेरिकी देश बना जिसने संसद के माध्यम से इच्छामृत्यु को वैध किया।
- कोलंबिया और इक्वाडोर में यह सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के जरिए वैध हुआ।
- उरुग्वे विश्व का पहला देश है जिसने मारिजुआना के मनोरंजनात्मक उपयोग को वैध किया था।
- देश में धर्मनिरपेक्षता इतनी गहरी है कि शपथ में ईश्वर का नाम लेना प्रतिबंधित है।