उपराष्ट्रपति ने ‘सनातन संस्कृति की अटल दृष्टि’ पुस्तक का विमोचन किया

उपराष्ट्रपति ने ‘सनातन संस्कृति की अटल दृष्टि’ पुस्तक का विमोचन किया

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर एक महत्वपूर्ण साहित्यिक कृति का विमोचन किया गया। नई दिल्ली स्थित उपराष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में ‘सनातन संस्कृति की अटल दृष्टि’ पुस्तक का लोकार्पण हुआ। यह पुस्तक राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी द्वारा लिखी गई है, जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन, विचार और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को केंद्र में रखा गया है।

पुस्तक विमोचन और आयोजन का संदर्भ

पुस्तक का विमोचन सी. पी. राधाकृष्णन द्वारा किया गया। उन्होंने लेखक को बधाई देते हुए कहा कि यह कृति समयानुकूल और अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने उल्लेख किया कि अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी के वर्ष में प्रकाशित यह पुस्तक उनके विचारों और वैचारिक विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम बनेगी।

अटल बिहारी वाजपेयी: व्यक्ति नहीं, एक संस्था

उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी केवल एक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि एक संस्था के समान थे। उनका संपूर्ण जीवन सिद्धांतों, मूल्यों और मर्यादित राजनीति का उदाहरण रहा। उन्होंने 12वीं और 13वीं लोकसभा के दौरान वाजपेयी के साथ सांसद के रूप में अपने अनुभव साझा किए और बताया कि किस प्रकार उनके व्यक्तित्व और कार्यशैली से उन्होंने राजनीति के कई महत्वपूर्ण सबक सीखे। जनसंघ काल की स्मृतियों को साझा करते हुए उन्होंने आपातकाल से पहले कोयंबटूर में आयोजित एक विशाल जनसभा का भी उल्लेख किया।

राष्ट्र निर्माण और रणनीतिक दूरदृष्टि

उपराष्ट्रपति ने आधुनिक भारत के निर्माण में वाजपेयी की भूमिका को रेखांकित करते हुए मई 1998 में पोखरण में किए गए परमाणु परीक्षणों का उल्लेख किया। ‘ऑपरेशन शक्ति’ के अंतर्गत हुए इन परीक्षणों ने भारत की रणनीतिक आत्मनिर्भरता और वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास को मजबूत किया। उन्होंने वाजपेयी के प्रसिद्ध नारे “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान” का भी उल्लेख किया, जो सुरक्षा, कृषि और विज्ञान के समन्वित विकास की उनकी सोच को दर्शाता है।

सुशासन और समावेशी विकास की सोच

कार्यक्रम में वाजपेयी के सुशासन और समावेशी विकास के दृष्टिकोण पर भी प्रकाश डाला गया। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, गोल्डन क्वाड्रिलैटरल परियोजना और ऊर्जा क्षेत्र में किए गए सुधारों को उनके दूरदर्शी नेतृत्व के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया। इसके साथ ही जनजातीय समुदायों के सशक्तिकरण के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय की स्थापना को उनकी सामाजिक प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया गया। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और भगीरथ चौधरी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में मई 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण किए गए थे।
  • ‘ऑपरेशन शक्ति’ भारत के परमाणु परीक्षणों का आधिकारिक नाम है।
  • वाजपेयी की जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • उनके कार्यकाल में छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड राज्यों का गठन हुआ।

कुल मिलाकर, ‘सनातन संस्कृति की अटल दृष्टि’ न केवल एक पुस्तक है, बल्कि अटल बिहारी वाजपेयी की वैचारिक विरासत और भारतीय सभ्यता से जुड़ी उनकी सोच का सार है। यह कृति आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्रवाद, संस्कृति और सुशासन के मूल्यों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

Originally written on December 24, 2025 and last modified on December 24, 2025.

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