उत्तर प्रदेश सरकार ने थारू जनजाति के लिए योजना लांच की

उत्तर प्रदेश सरकार ने थारू जनजाति के लिए योजना लांच की

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने थारू जनजाति की अनूठी संस्कृति के लिए एक योजना शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य इन जनजातीय गांवों को पर्यटन मानचित्र पर लाना है। यह रोजगार पैदा करेगा और क्षेत्र में जनजातीय आबादी को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करेगा।

मुख्य बिंदु

उत्तर प्रदेश सरकार नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा में स्थित थारू जनजातीय लोगों के गाँवों को जोड़ने की योजना बना रही है। यह एक होमस्टे योजना है जिसके तहत उत्तर प्रदेश वन विभाग पर्यटकों को थारू जनजातीय लोगों के प्राकृतिक आवास में रहने का अनुभव प्रदान करेगा। ये झोपड़ियाँ जंगल से एकत्रित घास से बनाई जाती हैं।

उत्तर प्रदेश वन विभाग थारू जनजातीय लोगों को पर्यटकों से वार्तालाप करने के लिए प्रशिक्षित करेगा। वे आदिवासियों को स्वच्छता और सुरक्षा के पहलुओं से परिचित कराने के लिए भी प्रोत्साहित करेंगे।

थारू जनजातीय लोग पर्यटकों को घर के भोजन और आवास के लिए उनसे शुल्क प्राप्त करेंगे। इस योजना के तहत घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों पर्यटकों की भागीदारी अपेक्षित है।

थारू जनजाति

यह जनजाति शिवालिक या निचले हिमालय में स्थित तराई क्षेत्रों से संबंधित हैं। इनमें से ज्यादातर लोग कृषि सम्बन्धी कार्य करते हैं। थारू शब्द का अर्थ है ‘थेरवाद बौद्ध धर्म के अनुयायी’।

थारू जनजातीय लोग नेपाल और भारत दोनों देशों में निवास करते हैं। भारत में थारू जनजाति से सम्बंधित लोग बिहार, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में रहते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश की कुल अनुसूचित जनजाति की आबादी 11 लाख थी। यह बढ़कर अब 20 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। राज्य में जनजातीय आबादी की वृद्धि में थारू जनजाति का काफी योगदान है।

अनोखी प्रथाएँ

थारू जनजातीय लोग थारू भाषा बोलते हैं। यह इंडो आर्यन उपसमूह और उर्दू, हिंदी और अवधी से ही सम्बंधित हैं। नेपाल के थारू भोजपुरी भाषा के एक प्रकार का उपयोग करते हैं। थारू महिलाओं के अधिक संपत्ति के अधिकार प्रदान किये गये हैं।

Originally written on December 8, 2020 and last modified on December 8, 2020.

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