उत्तर प्रदेश के जलालाबाद का नाम अब परशुरामपुरी: सांस्कृतिक पहचान की पुनर्स्थापना

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले स्थित जलालाबाद कस्बे का नाम अब आधिकारिक रूप से परशुरामपुरी हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस नाम परिवर्तन को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने इस निर्णय को क्षेत्र की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का सम्मान बताया और गृह मंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इसके लिए धन्यवाद दिया।
परशुरामपुरी: सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का केंद्र
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, परशुरामपुरी (पूर्व में जलालाबाद) भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम की जन्मभूमि मानी जाती है। यह क्षेत्र प्राचीन मंदिरों और धार्मिक स्थलों का केंद्र है, जो यहां के सांस्कृतिक गौरव को दर्शाते हैं। स्थानीय संत और मंदिरों के महंत लंबे समय से इस मांग को उठाते रहे हैं कि क्षेत्र को उसकी धार्मिक पहचान दी जाए।
परशुराम जन्मभूमि मंदिर के महंत ब्रह्मचारी सत्यदेव ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा, “यह नाम परिवर्तन सनातन धर्म की आस्था और विचारधारा का प्रतीक है। स्थानीय जनता में उत्सव का माहौल है।”
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और नाम परिवर्तन की प्रक्रिया
जलालाबाद की स्थापना वर्ष 1560 के आस-पास हुई थी और इसका नाम मुगल सम्राट जलाल-उद-दीन मोहम्मद अकबर के नाम पर रखा गया था। भाजपा विधायक हरिप्रकाश वर्मा ने बताया कि स्थानीय जनता इसे “ग़ुलामी का प्रतीक” मानती थी और वर्षों से इसका नाम बदलकर परशुरामपुरी करने की मांग कर रही थी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 27 जून 2025 को केंद्र को नाम परिवर्तन का प्रस्ताव भेजा था, जिसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की सिफारिश के बाद गृह मंत्रालय ने 14 अगस्त को मंजूरी दे दी। अब राज्य सरकार हिंदी, अंग्रेज़ी और स्थानीय भाषाओं में अधिसूचना जारी कर इसे औपचारिक रूप देगी।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
जितिन प्रसाद, जो शाहजहांपुर से जुड़े हैं और केंद्रीय राज्य मंत्री हैं, ने कहा कि यह निर्णय क्षेत्र के लिए गौरवपूर्ण क्षण है। भाजपा के जिलाध्यक्ष अनिल गुप्ता ने इसे “ऐतिहासिक उपलब्धि” बताते हुए कहा कि यह सनातन परंपराओं के अनुरूप निर्णय है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम भाजपा की उस नीति का हिस्सा है, जिसके तहत देशभर में “ग़ुलामी” से जुड़े नामों को बदलकर सांस्कृतिक व धार्मिक पहचान को पुनर्स्थापित किया जा रहा है। इससे पहले भी भारत में कई स्थानों के नाम बदले जा चुके हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है, जो न्याय और धर्म की स्थापना के लिए प्रसिद्ध हैं।
- जलालाबाद की स्थापना मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में हुई थी और इसका नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया था।
- नाम परिवर्तन की प्रक्रिया में राज्य सरकार का प्रस्ताव, केंद्र की मंजूरी और गजट अधिसूचना आवश्यक होती है।
- सनातन परंपराओं में परशुराम को ब्राह्मण योद्धा के रूप में माना जाता है, जिनका संबंध भगवान शिव और वेदों से है।
परशुरामपुरी नामकरण केवल एक नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक है। यह निर्णय उस व्यापक प्रयास का हिस्सा है, जिसमें भारत की पारंपरिक पहचान को समकालीन संदर्भ में पुनः प्रतिष्ठित किया जा रहा है। इस बदलाव से क्षेत्र के धार्मिक महत्व को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने की भी संभावना है।