ईरान पर अमेरिकी हमले: परमाणु केंद्रों को निशाना बनाने का वैज्ञानिक विश्लेषण

22 जून 2025 को अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु केंद्रों — फोर्दो, इस्फहान और नतांज — पर हमला किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि ये सभी केंद्र “पूरी तरह से नष्ट” कर दिए गए हैं। इन हमलों ने वैश्विक स्तर पर परमाणु आपदा की आशंका को जन्म दिया, हालांकि अब तक किसी बड़े विकिरण रिसाव की पुष्टि नहीं हुई हैहमलों का वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य
तीनों केंद्र यूरेनियम संवर्धन (enrichment) के प्रमुख स्थल हैं। संवर्धन वह प्रक्रिया है जिसके तहत प्राकृतिक यूरेनियम में पाए जाने वाले यू-235 की मात्रा बढ़ाई जाती है। सामान्य बिजली उत्पादन के लिए 3-5% संवर्धन पर्याप्त होता है, लेकिन परमाणु हथियारों के लिए 90% या अधिक संवर्धन की आवश्यकता होती है।
हालांकि, इन केंद्रों पर हमला होने के बावजूद परमाणु विस्फोट की कोई संभावना नहीं है। परमाणु बम पारंपरिक विस्फोटकों से अलग होते हैं — वे विशेष परिस्थितियों में ही विस्फोट करते हैं। बम गिरने या मिसाइल से टकराने मात्र से उनमें विस्फोट नहीं होता।
क्या विकिरण रिसाव संभव है?
परमाणु विस्फोट की तुलना में विकिरण रिसाव अधिक यथार्थवादी खतरा है। इन केंद्रों में यूरेनियम और अन्य रेडियोधर्मी पदार्थ मौजूद होते हैं, जिनमें गैसीय रूप जैसे यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड (UF6) भी शामिल होता है। इन पदार्थों के रिसाव से कैंसर जैसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं।
हालांकि, ईरान सरकार और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने पुष्टि की है कि अब तक किसी भी बाहरी स्थान पर विकिरण स्तर में वृद्धि नहीं पाई गई है। इससे राहत की बात यह है कि अभी तक कोई बड़ा पर्यावरणीय संकट नहीं उत्पन्न हुआ है।
परमाणु हथियार बनाम पारंपरिक बम
- पारंपरिक बम: रासायनिक तत्वों से बने होते हैं, जो गर्मी या घर्षण से स्वतः विस्फोट कर सकते हैं।
- परमाणु बम: यू-235 जैसे विखंडनीय तत्वों के श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया (chain reaction) से ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, और विशिष्ट स्थितियों में ही विस्फोट करते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- फोर्दो, नतांज और इस्फहान: ईरान के प्रमुख यूरेनियम संवर्धन केंद्र, जिनमें भूमिगत और संरक्षित सुविधाएं हैं।
- यू-235 और यू-238: यूरेनियम के दो प्रमुख समस्थानिक, जिनमें केवल यू-235 ही फिशन-योग्य होता है।
- IAEA: संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था, जो वैश्विक स्तर पर विकिरण और परमाणु गतिविधियों की निगरानी करती है।
- चेरनोबिल और फुकुशिमा: इतिहास की दो सबसे बड़ी परमाणु दुर्घटनाएं, जिनसे विकिरण का भारी रिसाव हुआ था।
निष्कर्ष
हालिया अमेरिकी हमलों ने विश्व समुदाय को यह याद दिलाया है कि परमाणु प्रतिष्ठानों को लक्ष्य बनाना न केवल कूटनीतिक रूप से संवेदनशील है, बल्कि संभावित रूप से खतरनाक भी है। हालांकि इन हमलों में कोई परमाणु विस्फोट नहीं हुआ, लेकिन विकिरण रिसाव का खतरा वास्तविक था। सौभाग्यवश, अब तक कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है, परन्तु यह घटना परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा पर वैश्विक बहस को और गहरा करने वाली है।