ईरान पर अमेरिकी हमला: GBU-57 ‘मोप’ बम का पहली बार युद्ध में प्रयोग

22 जून 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पुष्टि की कि अमेरिकी सैन्य बलों ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों — फोर्दो, नतांज और इस्फहान — पर सफलतापूर्वक हवाई हमला किया है। यह हमला ईरान-इस्राइल संघर्ष में एक बड़े सैन्य मोड़ का संकेत है और इसमें अमेरिका ने पहली बार अत्यंत शक्तिशाली GBU-57 ‘Massive Ordnance Penetrator’ (MOP) बम का उपयोग किया।
फोर्दो: ‘बंकर बस्टर’ का प्रमुख निशाना
फोर्दो यूरेनियम संवर्धन केंद्र लगभग 90 मीटर गहराई में एक पहाड़ी के नीचे स्थित है, जिसे अब तक किसी भी देश द्वारा छुआ नहीं गया था। अमेरिका ने इसे नष्ट करने के लिए GBU-57 बम का प्रयोग किया, जिसे केवल B-2 Spirit स्टेल्थ बॉम्बर से ही गिराया जा सकता है। ट्रम्प ने दावा किया कि फोर्दो पर “पूरा बम पेलोड” गिराया गया।
GBU-57 MOP बम: युद्ध का सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु हथियार
- लंबाई: 20.5 फीट
- व्यास: 31.5 इंच
- वजन: लगभग 13,000 किलोग्राम
- क्षमता: 60 मीटर तक की गहराई में घुसकर विस्फोट करना
- विकासकर्ता: अमेरिकी वायु सेना अनुसंधान प्रयोगशाला और बोइंग
यह बम विशेष रूप से मजबूत भूमिगत ठिकानों और सुरंगों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह BLU-109 का परिष्कृत संस्करण है। MOP का यह हमला पहली बार किसी वास्तविक युद्ध अभियान में हुआ है।
B-2 Spirit स्टेल्थ बॉम्बर: अदृश्य मारक शक्ति
GBU-57 को गिराने वाला विमान B-2 Spirit है, जो अब तक का सबसे उन्नत और महंगा स्टेल्थ बॉम्बर है।
- निर्माता: नॉर्थ्रॉप ग्रमन
- पहली उड़ान: 1989, सेवा में प्रवेश: 1997
- मूल्य: लगभग $2.1 बिलियन प्रति विमान
- रेंज: बिना ईंधन भराव के 9,600 किमी; ईंधन भराव के साथ 19,000+ किमी
B-2 में ‘स्टेल्थ’ विशेषता है, जो इसे रडार और अन्य निगरानी प्रणालियों से बचा कर अत्यधिक सुरक्षा वाले क्षेत्रों में भी पहुंचने की क्षमता प्रदान करती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- GBU-57 MOP: अमेरिका का सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु बम
- Fordow Facility: ईरान का भूमिगत यूरेनियम संवर्धन केंद्र, 90 मीटर गहराई में
- B-2 Spirit Bomber: एकमात्र विमान जो GBU-57 गिरा सकता है
- पहली युद्धकालीन उपयोग: जून 2025, ईरान पर अमेरिका द्वारा
निष्कर्ष
अमेरिका द्वारा ईरान के फोर्दो केंद्र पर MOP बम का प्रयोग परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने की उसकी रणनीति का संकेत देता है। यह हमला न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा संतुलन को भी प्रभावित करने वाला है। अब निगाहें इस पर रहेंगी कि ईरान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।