ईरान ने IAEA सहयोग को किया निलंबित: परमाणु संकट और वैश्विक कूटनीति की नई चुनौती

ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे तनाव के बीच ईरान की संसद द्वारा अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ सभी सहयोग को निलंबित करने का निर्णय एक बड़ा राजनयिक और सुरक्षा संकट बनकर उभरा है। यह कदम केवल ईरान की परमाणु नीति में बदलाव नहीं, बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय अप्रसार व्यवस्था (Non-Proliferation Treaty – NPT) पर एक सीधा प्रहार माना जा रहा है।
क्यों तोड़ा ईरान ने IAEA से नाता?
22 जून को अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर की गई बमबारी और इससे पहले 13 जून को इज़राइल के हमलों को ईरान ने अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया। ईरान का आरोप है कि IAEA ने इन हमलों की न तो निंदा की, न ही कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया दी। संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति समिति के प्रवक्ता इब्राहीम रेजाई ने कहा कि “IAEA की चुप्पी उसकी मिलीभगत के समान है।”
क्या होगा अब?
यदि यह विधेयक कानून बनता है, तो इसके तहत:
- IAEA निरीक्षकों को ईरानी परमाणु स्थलों में प्रवेश नहीं मिलेगा।
- निगरानी उपकरणों (कैमरे, सेंसर) को हटाया जाएगा।
- अनिवार्य रिपोर्ट और अद्यतन भेजना बंद होगा।
संसद अध्यक्ष मोहम्मद बाकेर ग़ालिबाफ़ ने घोषणा की कि ईरान का “शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम अब तेज़ी से आगे बढ़ेगा” — जिसे विशेषज्ञ अधिक संवर्धन की दिशा में इशारा मान रहे हैं।
परमाणु अप्रसार पर खतरा
2015 के JCPOA समझौते से अमेरिका पहले ही 2018 में बाहर हो चुका है। ईरान ने कुछ हद तक समझौते का पालन जारी रखा, परंतु अब सैन्य हमलों, साइबर हमलों और प्रतिबंधों के चलते उसका धैर्य टूट गया है। IAEA की भूमिका अब पूरी तरह निष्प्रभावी हो जाने की आशंका है — जिससे विश्व समुदाय ईरान की परमाणु गतिविधियों से अंधेरे में रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और रणनीतिक समीकरण
- फ्रांस और जर्मनी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक की मांग की है।
- रूस और चीन ने पश्चिमी सैन्य कार्रवाइयों की आलोचना की और तनाव घटाने की अपील की है।
- ग़ल्फ़ देश क्षेत्रीय अस्थिरता और हथियारों की दौड़ को लेकर चिंतित हैं।
फिलहाल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा घोषित संघर्षविराम बना हुआ है, लेकिन ईरान के इस निर्णय से स्पष्ट है कि अब वह कूटनीतिक प्रयासों को भरोसेमंद नहीं मानता।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- IAEA (स्थापना: 1957) एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग और अप्रसार को सुनिश्चित करती है।
- NPT (Non-Proliferation Treaty) के तहत सदस्य देश परमाणु हथियार न बनाने और शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग करने को बाध्य हैं।
- weapons-grade यूरेनियम का संवर्धन स्तर 90% होता है। वर्तमान में ईरान 60% तक संवर्धन कर चुका है।
निष्कर्ष
ईरान का यह कदम पश्चिमी देशों के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि वह अब निरीक्षण और संतुलन के अंतरराष्ट्रीय ढांचे को स्वीकार करने को तैयार नहीं है, जब तक कि उसकी संप्रभुता और परमाणु स्थलों की सुरक्षा की ठोस गारंटी न दी जाए। यह स्थिति न केवल मध्य पूर्व बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर परमाणु संकट का संकेत हो सकती है। आने वाले हफ्ते तय करेंगे कि यह तनाव शांति में बदलेगा या टकराव की दिशा में बढ़ेगा।