ईरान ने रूस की मदद से तीन स्वदेशी उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किए
ईरान ने 28 दिसंबर को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए रूस के सोयूज़ प्रक्षेपण यान की सहायता से अपने तीन स्वदेशी उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा (Low-Earth Orbit) में सफलतापूर्वक स्थापित किया। यह कदम तेहरान के बढ़ते अंतरिक्ष कार्यक्रम और रूस के साथ उसके रणनीतिक व तकनीकी सहयोग को दर्शाता है, विशेष रूप से ऐसे समय में जब दोनों देश पश्चिमी प्रतिबंधों के तहत हैं।
उपग्रह प्रक्षेपण का विवरण
ईरानी सरकारी समाचार एजेंसी IRNA के अनुसार, प्रक्षेपित उपग्रहों में ‘पाया’, ‘ज़फ़र-2’ और ‘कोसर’ का दूसरा संस्करण शामिल है। ये सभी उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा में संचालित होने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और इनका उद्देश्य मुख्यतः नागरिक उद्देश्यों की पूर्ति है — जैसे कृषि उत्पादकता की निगरानी, प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन, और पर्यावरणीय परिस्थितियों का आकलन।
यह प्रक्षेपण रूस के सोयूज़ रॉकेट के माध्यम से किया गया, जो अंतरिक्ष मिशनों के लिए लंबे समय से विश्वसनीय और व्यापक रूप से उपयोग में लाया जाने वाला प्रक्षेपण यान है।
ईरान–रूस अंतरिक्ष सहयोग
ईरान ने अंतरराष्ट्रीय प्रक्षेपण सेवाओं तक पहुंच में अवरोधों के कारण रूस पर अपनी निर्भरता बढ़ा दी है। 2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग और तेज़ हुआ है। हालांकि पश्चिमी देश ईरान पर रूस को ड्रोन और मिसाइल देने के आरोप लगाते रहे हैं, दोनों देश इन आरोपों से इनकार करते हैं।
अंतरिक्ष सहयोग अब इस साझेदारी का एक प्रमुख और प्रतीकात्मक क्षेत्र बन चुका है, जो पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद तकनीकी प्रगति और आपसी सहयोग की मजबूती को दर्शाता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सोयूज़ एक दीर्घकालिक रूसी प्रक्षेपण यान प्रणाली है, जिसका उपयोग मानवयुक्त और मानवरहित दोनों प्रकार के अभियानों में होता है।
- पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) सामान्यतः 160 से 2,000 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैली होती है।
- ईरान के नागरिक उपग्रह मुख्यतः पृथ्वी अवलोकन (Earth Observation) उद्देश्यों के लिए बनाए जाते हैं, संचार के लिए नहीं।
- 2022 के बाद से ईरान-रूस अंतरिक्ष सहयोग, उनकी रणनीतिक साझेदारी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।
क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति पर प्रभाव
इस प्रक्षेपण से ईरान की अंतरिक्ष क्षमताओं पर पश्चिमी देशों की निगरानी और तेज़ हो सकती है। यद्यपि तेहरान अपने कार्यक्रम को शुद्ध रूप से नागरिक उद्देश्यों के लिए बताता है, उपग्रह प्रक्षेपण तकनीक और बैलिस्टिक मिसाइल विकास के बीच तकनीकी समानताएं हैं, जो संदेह को जन्म देती हैं।
यह घटनाक्रम ईरान की वैश्विक मंच पर स्वावलंबी तकनीकी शक्ति बनने की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है और इस बात का संकेत देता है कि प्रतिबंधों के बावजूद वह अपनी एयरोस्पेस क्षमताओं को विकसित करने की दिशा में प्रतिबद्ध है।