ईरान ने आतंकवाद वित्तपोषण विरोधी संधि को दी मंज़ूरी: वैश्विक बैंकिंग से जुड़ाव की नई उम्मीद
ईरान ने अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक अलगाव को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद वित्तपोषण विरोधी संधि (CFT) को मंज़ूरी दे दी है। 22 अक्टूबर 2025 को तस्नीम समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान ने इस कानून को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया है। इस कदम को देश की प्रतिबंधित अर्थव्यवस्था को वैश्विक बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने और व्यापार पर लगे प्रतिबंधों को कम करने की उम्मीदों के रूप में देखा जा रहा है।
क्या है CFT और FATF से जुड़ी ईरान की चुनौती?
अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद वित्तपोषण विरोधी संधि (CFT) संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित एक समझौता है, जिसका उद्देश्य आतंकवादी संगठनों को आर्थिक मदद पहुँचाने वाले स्रोतों को रोकना है। इस संधि के तहत सदस्य देशों को वित्तीय पारदर्शिता और निगरानी के कठोर मानकों का पालन करना होता है।
ईरान 2020 से Financial Action Task Force (FATF) की ब्लैकलिस्ट में शामिल है, जहाँ उत्तर कोरिया और म्यांमार जैसे देशों के साथ उसे भी ‘गैर-सहयोगी’ देश माना गया है। इस सूची में होने के कारण ईरान की बैंकिंग प्रणाली अंतरराष्ट्रीय लेन-देन से कट गई है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती गई है।
घरेलू राजनीतिक विवाद और विदेश नीति की जटिलता
CFT संधि को लागू करने का फैसला ईरान की राजनीति में तीव्र बहस का कारण बना। जहाँ उदारवादी और सुधारवादी इस कदम को वैश्विक बैंकिंग प्रणाली से जुड़ने का जरिया मानते हैं, वहीं कट्टरपंथी इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय रणनीतियों के लिए ख़तरा मानते हैं।
ईरान लंबे समय से हमास (फिलिस्तीन), हिज़्बुल्लाह (लेबनान) और हूती विद्रोहियों (यमन) को समर्थन देता आया है, जिन्हें अमेरिका ने “आतंकी संगठन” घोषित किया है। इन संगठनों से जुड़ाव के कारण ही अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश ईरान को FATF के मानकों के अनुकूल नहीं मानते।
आर्थिक संकट और वैश्विक बैंकिंग से जुड़ाव की उम्मीद
ईरान की अर्थव्यवस्था वर्षों से अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बोझ तले दबी है। इन प्रतिबंधों के चलते न केवल अमेरिका और यूरोप से व्यापार बाधित हुआ है, बल्कि रूस और चीन जैसे सहयोगी देशों से भी लेन-देन में समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। संसद सदस्य महदी शहरीयारी ने हाल ही में कहा था कि FATF और CFT की सदस्यता न होने के कारण रूस और चीन के साथ व्यापार में भी कठिनाई आई है।
22 अक्टूबर को पेरिस में आयोजित FATF बैठक में ईरानी प्रतिनिधि की छह वर्षों में पहली बार उपस्थिति भी इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- FATF (Financial Action Task Force) की स्थापना 1989 में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद वित्तपोषण की निगरानी के लिए हुई थी।
- CFT (Convention for the Suppression of the Financing of Terrorism) संयुक्त राष्ट्र की संधि है जिसे 130 से अधिक देश अपना चुके हैं।
- 2020 में ईरान FATF की ब्लैकलिस्ट में शामिल हुआ था।
- मसूद पेज़ेश्कियान, 2024 में ईरान के राष्ट्रपति बने, जिन्होंने पश्चिमी देशों से रिश्ते बेहतर करने का वादा किया था।