ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिका-इज़राइल का हमला: परमाणु सुरक्षा और वैश्विक चिंता के नए आयाम

ईरान के नतान्ज़, इस्फहान और फोर्दो स्थित परमाणु स्थलों पर अमेरिका और इज़राइल द्वारा किए गए हालिया हमले, इतिहास में पहली बार हैं जब किसी देश की चालू परमाणु सुविधाओं को सैन्य हमले का निशाना बनाया गया। इस अप्रत्याशित कार्रवाई ने वैश्विक सुरक्षा, परमाणु प्रसार और विकिरण जोखिम से जुड़े कई गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
विकिरण रिसाव की आशंका और मौजूदा स्थिति
ईरान और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने अब तक किसी विकिरण रिसाव की पुष्टि नहीं की है। प्रत्येक परमाणु स्थल पर रियल टाइम रेडिएशन मॉनिटरिंग उपकरण लगे होते हैं, और बड़े रिसाव की स्थिति में गामा किरणें अन्य देशों तक भी पहुँच सकती हैं। यही कारण है कि IAEA हमले के कुछ ही घंटों में यह घोषित कर सका कि विकिरण स्तर में कोई वृद्धि नहीं देखी गई है।
परमाणु स्थलों की संरचनात्मक क्षति
IAEA के अनुसार, नतान्ज़ के फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट पर हमला हुआ है। फोर्दो स्थल पर गड्ढों के निशान हैं, लेकिन इसकी भूमिगत संरचनाओं को नुकसान का स्तर अभी स्पष्ट नहीं है। इस्फहान में यूरेनियम रूपांतरण से संबंधित इमारतें और सुरंगों के द्वार भी क्षतिग्रस्त बताए जा रहे हैं। हालाँकि ईरान ने नुकसान को कम आँका है, पर IAEA की प्रारंभिक रिपोर्ट ज्यादा गंभीर स्थिति को दर्शाती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यह पहली बार है जब किसी देश की क्रियाशील परमाणु सुविधाओं को युद्ध जैसी कार्रवाई में निशाना बनाया गया।
- ईरान ने यूरेनियम को 60% तक समृद्ध किया हुआ है, जो हथियार-स्तरीय 90% से कुछ ही कम है।
- नतान्ज़ और फोर्दो दोनों स्थल भूमिगत हैं, जिससे क्षति का सही अनुमान लगाना कठिन है।
- IAEA की पहुँच वर्तमान में हमले वाले स्थलों तक नहीं है, जिससे निगरानी में बाधा उत्पन्न हुई है।
परमाणु सामग्री की सुरक्षा और पारदर्शिता पर संकट
ईरान, परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का हस्ताक्षरकर्ता है और IAEA के साथ व्यापक निगरानी समझौते के तहत काम करता है। ईरान का दावा है कि हमले की आशंका के चलते उसने संवेदनशील परमाणु सामग्री को पहले ही सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया था। सैटेलाइट चित्रों में फोर्दो स्थल पर बड़ी संख्या में वाहन देखे गए थे, जो इस दावे को बल देते हैं।
हालाँकि कोई विकिरण रिसाव नहीं मिला है, लेकिन IAEA के लिए अब यह चुनौतीपूर्ण होगा कि वह संपूर्ण परमाणु सामग्री की पुष्टि करे, जिससे अनियमित उपयोग या परमाणु प्रसार की आशंका बढ़ जाती है।
यह हमला न केवल पश्चिम एशिया की स्थिरता को झटका देता है, बल्कि वैश्विक परमाणु निगरानी व्यवस्था के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न करता है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि IAEA को कितनी स्वतंत्रता मिलती है और क्या वैश्विक समुदाय इस स्थिति को संतुलित ढंग से संभालने में सक्षम हो पाएगा।