ईरान-अमेरिका टकराव: ‘बशायेर अल-फतह’ अभियान में कतर स्थित अमेरिकी एयरबेस पर मिसाइल हमला

ईरान-अमेरिका टकराव: ‘बशायेर अल-फतह’ अभियान में कतर स्थित अमेरिकी एयरबेस पर मिसाइल हमला

23 जून 2025 को ईरान और अमेरिका के बीच तनाव एक नए स्तर पर पहुँच गया जब तेहरान ने ‘ऑपरेशन बशायेर अल-फतह’ (Bashayer Al-Fath — विजय की सूचना) के तहत कतर के दोहा में स्थित अमेरिका के विशाल अल-उदीद वायुसेना अड्डे पर शक्तिशाली मिसाइल हमला किया। यह जवाबी कार्रवाई अमेरिका के ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ के बाद की गई, जिसमें अमेरिका ने ईरान की तीन परमाणु स्थलों को निशाना बनाया था।

ऑपरेशन ‘बशायेर अल-फतह’ की पृष्ठभूमि

अमेरिका के ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ के तहत एयरफोर्स और नेवी ने ईरानी परमाणु स्थलों पर GBU-57 बंकर बस्टर बमों और टॉमहॉक मिसाइलों से हमला किया। इसके एक दिन बाद, ईरान ने कड़ा जवाब देते हुए अपने क्रांतिकारी गार्ड बल (IRGC) के माध्यम से कतर के अमेरिकी बेस पर हमला किया।
ईरानी सशस्त्र बलों ने इसे अपनी क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा में एक निर्णायक कदम बताया। यह हमला IRGC द्वारा ‘या अबा अब्दुल्ला अल-हुसैन’ नामक पवित्र कोड वाक्य के तहत किया गया।

रणनीतिक चेतावनी और आक्रामक बयान

ईरान ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि पश्चिम एशिया में अमेरिकी सैन्य ठिकाने शक्ति के नहीं, बल्कि कमजोरी के प्रतीक हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अमेरिका की किसी भी अगली आक्रामकता से उसके क्षेत्रीय सैन्य ढाँचे का पतन तेज़ी से होगा। ईरान ने इस कार्रवाई को इस्लामी उम्मा और आज़ादी पसंद राष्ट्रों की सामूहिक आकांक्षा — ज़ायोनी सत्ता का अंत — के रूप में प्रस्तुत किया।
ईरान के अनुसार, यह हमला केवल सैन्य प्रतिकार नहीं, बल्कि एक धार्मिक और राष्ट्रीय कर्तव्य के रूप में किया गया है, विशेषकर मुहर्रम माह की पूर्व संध्या पर।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ‘बशायेर अल-फतह’ का अर्थ है “विजय की सूचना”।
  • अल-उदीद एयरबेस अमेरिका की वायुसेना का सबसे बड़ा केंद्र है जो पश्चिम एशिया में स्थित है।
  • GBU-57 MOAB जैसे बंकर बस्टर बम भूमिगत संरचनाओं को नष्ट करने में सक्षम हैं।
  • IRGC (Islamic Revolutionary Guard Corps) ईरान की विशेष सैन्य शाखा है जो सीधे देश के सर्वोच्च नेतृत्व को रिपोर्ट करती है।

इस घटना ने मध्य-पूर्व में पहले से ही तनावपूर्ण माहौल को और भी जटिल बना दिया है। यह संघर्ष क्षेत्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है और वैश्विक राजनयिक प्रयासों के लिए एक नई चुनौती पेश कर रहा है। आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ और कूटनीतिक प्रयास इस टकराव की दिशा तय करेंगे।

Originally written on June 24, 2025 and last modified on June 24, 2025.

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