इमरान खान और PTI पर पूर्ण राजनीतिक प्रतिबंध की मांग: पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पारित
पाकिस्तान की राजनीति में एक नया मोड़ तब आया जब पंजाब प्रांत की विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित करते हुए जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक‑ए‑इंसाफ (PTI) पर पूर्ण राजनीतिक प्रतिबंध लगाने की मांग की। यह कदम राजनीतिक नेतृत्व, सैन्य प्रतिष्ठान और इमरान समर्थकों के बीच बढ़ते टकराव का संकेत है।
PTI के बहिष्कार के बीच प्रस्ताव पारित
यह प्रस्ताव सत्तारूढ़ पीएमएल‑एन (PML-N) के एक विधायक द्वारा पेश किया गया, जिसे PTI सदस्यों की अनुपस्थिति में पारित किया गया क्योंकि उन्होंने सत्र का बहिष्कार किया था।
प्रस्ताव में इमरान खान और उनकी पार्टी पर “विघटनकारी और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों” में शामिल होने का आरोप लगाया गया, जिससे राष्ट्रीय स्थिरता को खतरा बताया गया। विधायकों ने तर्क दिया कि जो राजनीतिक तत्व राज्य संस्थानों को चुनौती देते हैं या अराजकता को बढ़ावा देते हैं, उन पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
सैन्य प्रतिष्ठान की तीखी आलोचना के बाद आया प्रस्ताव
इस प्रस्ताव से कुछ दिन पहले ही पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा ने इमरान खान पर सेना‑विरोधी बयानबाजी फैलाने का गंभीर आरोप लगाया था।
सेना के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दी गई यह सार्वजनिक ब्रीफिंग एक असामान्य और तीखा राजनीतिक संकेत था, जिसने आगे की घटनाओं की दिशा तय कर दी। प्रस्ताव में इसी सैन्य दृष्टिकोण की प्रतिध्वनि देखने को मिली, जिसमें राज्य संस्थाओं की आलोचना को राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा बताया गया।
राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सख्त सजा की मांग
प्रस्ताव में यह अपील की गई है कि ऐसी कोई भी व्यक्ति या समूह — चाहे राजनीतिक हो या गैर-राजनीतिक — जो पाकिस्तान की अखंडता के खिलाफ कार्य कर रहा हो, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। इसमें सशस्त्र बलों की भूमिका को देश की सुरक्षा का आधार बताया गया और संभावित प्रतिबंध को राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरत से जोड़ा गया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- प्रस्ताव पंजाब विधानसभा में बिना PTI सदस्यों की उपस्थिति के पारित हुआ।
- प्रस्ताव में इमरान खान और उनकी पार्टी पर पूर्ण राजनीतिक प्रतिबंध की मांग की गई है।
- प्रस्ताव से पहले सेना की ओर से इमरान पर सार्वजनिक आलोचना की गई थी।
- प्रस्ताव में सेना‑विरोधी बयानों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया।
यह प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, लेकिन यह पाकिस्तान में एक स्पष्ट राजनीतिक-संस्थागत गठबंधन की ओर इशारा करता है, जो इमरान खान और PTI को चुनावी राजनीति से बाहर करने की कोशिश कर रहा है। इससे न केवल PTI पर दबाव बढ़ेगा, बल्कि पाकिस्तान में राजनीतिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की सीमाओं को लेकर भी गंभीर प्रश्न उठेंगे। सेना के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव और सुरक्षा के नाम पर राजनीतिक विरोधियों को हाशिए पर डालने की प्रवृत्ति आने वाले समय में पाकिस्तान के लोकतंत्र की दिशा को प्रभावित कर सकती है।