इंडोनेशिया में माउंट लेवोटोबी की फिर से भीषण ज्वालामुखी विस्फोट, राख और लावा से ढँके गाँव

इंडोनेशिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक माउंट लेवोटोबी लकी-लकी (Mount Lewotobi Laki Laki) ने लगातार दूसरे दिन बुधवार को भीषण रूप से विस्फोट किया, जिससे जलते हुए राख और लावा के बादल आसमान में दस किलोमीटर तक उठ गए और आसपास के कई गाँव राख से ढँक गए। फिलहाल किसी जनहानि की सूचना नहीं मिली है, लेकिन प्रशासन ने अलर्ट जारी कर लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी दी है।
एक दिन में कई विस्फोट, राख और बिजली से जगमगाया आकाश
इंडोनेशिया की भूविज्ञान एजेंसी के अनुसार, बुधवार तड़के ज्वालामुखी से पहला विस्फोट हुआ, जिसमें राख और लावा 10 किलोमीटर की ऊँचाई तक पहुँचे। कुछ ही घंटों बाद दूसरा विस्फोट हुआ, जिसमें मशरूम के आकार के बादल 8 किलोमीटर तक उठे। इससे पहले मंगलवार को भी तीन बार विस्फोट हुआ था, जिनमें दिन में जलते हुए गैस और पत्थर की धाराएँ नीचे की ओर बहती देखी गईं। रात के तीसरे विस्फोट ने तो आकाश को चमकदार लावा और बिजली की चमक से रोशन कर दिया।
गाँवों में राख और मलबे की परत
फ्लोरेस द्वीप पर स्थित इस ज्वालामुखी की तलहटी में बसे कई गाँव अब राख और मलबे की परतों से ढँक गए हैं। हादी विजया, ज्वालामुखी और भूगर्भीय आपदा न्यूनीकरण केंद्र के प्रमुख ने बताया कि भारी बारिश की स्थिति में ज्वालामुखीय मलबा नदी मार्गों में लहरों के रूप में बह सकता है, जिससे अतिरिक्त खतरा पैदा हो सकता है।
उच्चतम सतर्कता स्तर और प्रतिबंधित क्षेत्र
18 जून 2025 को हुए विस्फोट के बाद से ही माउंट लेवोटोबी को उच्चतम चेतावनी स्तर पर रखा गया है। ज्वालामुखी के आसपास 7 किलोमीटर के दायरे को निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया गया है, जहाँ किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है। इससे पहले नवंबर 2024 में हुए बड़े विस्फोट में 9 लोगों की मृत्यु और दर्जनों घायल हुए थे। मार्च 2025 में भी इसमें विस्फोट दर्ज किया गया था।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- माउंट लेवोटोबी लकी-लकी की ऊँचाई: 1,584 मीटर।
- यह फ्लोरेस द्वीप (Flores Island), इंडोनेशिया में स्थित है।
- इंडोनेशिया में 120 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी हैं।
- यह “रिंग ऑफ फायर” (Ring of Fire) नामक भूगर्भीय क्षेत्र में आता है, जहाँ भूकंप और ज्वालामुखीय गतिविधियाँ अत्यंत सामान्य हैं।
- इंडोनेशिया 280 मिलियन से अधिक जनसंख्या वाला द्वीपसमूह है, जो भूकंपीय रूप से दुनिया के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है।