आर्य समाज शादियों की वैधता पर उठे सवाल: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए यूपी सरकार को जांच के आदेश

आर्य समाज शादियों की वैधता पर उठे सवाल: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए यूपी सरकार को जांच के आदेश

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह “फर्जी आर्य समाज संस्थाओं” की जांच करे जो बिना वैध आयु सत्यापन और राज्य के धर्मांतरण विरोधी कानून के उल्लंघन में विवाह संपन्न करा रही हैं। न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने यह आदेश एक मामले की सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें एक मुस्लिम युवक पर नाबालिग हिंदू लड़की के अपहरण, जबरन विवाह और बलात्कार का आरोप है।

आर्य समाज विवाह क्या है?

1875 में स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित आर्य समाज एक वैदिक, एकेश्वरवादी हिंदू सुधार आंदोलन है। 1937 में Arya Marriage Validation Act के तहत इन विवाहों को वैधता प्रदान की गई। इस कानून के अनुसार, दो व्यक्ति यदि विवाह के समय स्वयं को ‘आर्य समाजी’ घोषित करते हैं, तो उनका विवाह जाति या पूर्व धर्म की परवाह किए बिना मान्य होता है।

आर्य समाज विवाह क्यों हैं लोकप्रिय?

  • आर्य समाज विवाह त्वरित, कागज़ी कार्रवाई में सरल और कुछ घंटों में ही पूरे किए जा सकते हैं।
  • यह व्यवस्था उन प्रेमी युगलों के लिए सुविधाजनक है जो जातिगत या धार्मिक भेदभाव के चलते सामाजिक या पारिवारिक दबाव से बचना चाहते हैं।
  • विशेष विवाह अधिनियम (SMA) के अंतर्गत विवाह की 30-दिन की सार्वजनिक सूचना आवश्यक होती है, जो अक्सर सामाजिक हस्तक्षेप को न्योता देती है। इसकी तुलना में आर्य समाज विवाह अधिक गोपनीय और तेज़ होते हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • Arya Marriage Validation Act, 1937 के अनुसार, आर्य समाजी विवाह भले ही अंतर-जातीय या पूर्व धर्म परिवर्तन से जुड़े हों, उन्हें हिन्दू कानून के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है।
  • UP Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Act, 2021 के तहत किसी भी विवाह से पूर्व धर्म परिवर्तन पर 60 दिन पहले पूर्व-घोषणा और बाद में जिलाधिकारी को घोषणा अनिवार्य है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में मौखिक रूप से टिप्पणी की थी कि आर्य समाज को विवाह प्रमाणपत्र जारी करने का कोई अधिकार नहीं है।

न्यायालयों की चिंता और वैधानिक पेचीदगियाँ

हाल के वर्षों में कई उच्च न्यायालयों ने आर्य समाज शादियों को लेकर चिंता जताई है। कारण:

  • कई शादियां नाबालिगों के साथ की जा रही हैं।
  • विवाह पूर्व धर्म परिवर्तन की वैधता या प्रक्रिया की अनदेखी हो रही है।
  • उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और अन्य भाजपा शासित राज्यों में सख्त धर्मांतरण विरोधी कानूनों ने इन विवाहों की वैधता पर प्रश्नचिन्ह लगाया है।

इन राज्यों के कानूनों के अनुसार, विवाह के लिए धर्म परिवर्तन तभी वैध है जब वह निर्धारित प्रक्रियाओं के तहत हो, अन्यथा विवाह को अवैध माना जाएगा। ऐसे में आर्य समाज द्वारा शीघ्रता से कराए गए ‘शुद्धि’ रूपांतरण कानून का उल्लंघन माने जाते हैं।

निष्कर्ष

आर्य समाज विवाहों ने ऐतिहासिक रूप से जातीय और धार्मिक बंधनों से बाहर विवाह करने वालों को एक वैकल्पिक मंच प्रदान किया है, लेकिन मौजूदा कानूनी ढांचे और राज्य कानूनों के परिप्रेक्ष्य में इनकी प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अदालतों की सख्ती और सरकारी जांच यह स्पष्ट संकेत देती है कि अब इन विवाहों की वैधता, पारदर्शिता और कानूनी अनुपालन पर नज़र रखने की आवश्यकता है। समाज के हित में यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि प्रेम और विवाह की स्वतंत्रता कानून और जिम्मेदारी के दायरे में हो।

Originally written on August 4, 2025 and last modified on August 4, 2025.

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