आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: ऊर्जा प्रणाली के लिए वरदान या चुनौती?

जैसे-जैसे भारत और विश्व में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और उससे जुड़ी डेटा मांग बढ़ रही है, एक नया सवाल खड़ा हो रहा है — क्या AI ऊर्जा वितरण को अधिक कुशल और स्मार्ट बनाएगा या इसके लिए आवश्यक डेटा सेंटर्स वैश्विक विद्युत प्रणाली पर नया बोझ बनेंगे? अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की 2024 की रिपोर्ट इस विषय पर गहन दृष्टि प्रदान करती है।
डेटा सेंटर्स की ऊर्जा खपत में तेज़ी
IEA के अनुसार, 2030 तक डेटा सेंटर्स की वैश्विक बिजली मांग लगभग 945 टेरावाट-घंटा (TWh) तक पहुंच सकती है, जो 2023 की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है। इसमें सबसे बड़ा योगदान AI का होगा। AI-विशिष्ट डेटा सेंटर्स की ऊर्जा मांग 2030 तक चार गुना तक बढ़ने की आशंका है। McKinsey की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, 2023 से 2030 तक डेटा सेंटर क्षमता की वार्षिक वैश्विक मांग 19-22% की दर से बढ़ सकती है।
भारत में यह प्रवृत्ति और भी स्पष्ट है। देश की डेटा सेंटर क्षमता 2024 में 1.2 गीगावाट (GW) थी, जो 2030 तक 4.5 GW तक पहुंचने का अनुमान है। अकेले मुंबई देश की कुल डेटा सेंटर क्षमता का 41% हिस्सा रखता है। इन AI-संचालित सेंटर्स के कारण 2030 तक भारत की विद्युत मांग में 40-50 TWh की अतिरिक्त वृद्धि हो सकती है।
AI बनाम पारंपरिक उद्योग
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि अन्य ऊर्जा-गहन उद्योगों के मुकाबले AI से जुड़ा ऊर्जा दबाव उतना विकराल नहीं है। उदाहरण के तौर पर, जहां डेटा सेंटर्स 2030 तक वैश्विक बिजली का 3-4% उपयोग कर सकते हैं, वहीं स्टील उद्योग अकेले ही 7% से अधिक ऊर्जा खपत करता है। फिर भी, इस उभरते क्षेत्र को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि इसका विस्तार बहुत तेज गति से हो रहा है।
ऊर्जा दक्षता में AI की भूमिका
AI केवल ऊर्जा उपभोग बढ़ाने वाला नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से ऊर्जा वितरण और उपयोग में दक्षता भी लाई जा सकती है। AI आधारित स्मार्ट ग्रिड, प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स और स्मार्ट मीटरिंग जैसे उपाय ग्रिड की विश्वसनीयता को बढ़ाते हैं और अपव्यय को कम करते हैं।
भारत में Nxtra (Airtel) जैसे डेटा सेंटर्स AI द्वारा संचालित कूलिंग सिस्टम और रिन्यूएबल एनर्जी के साथ संयोजन में काम कर रहे हैं। BrightNight की PowerAlpha AI प्रणाली सौर-हवा-बैटरी संयोजन को ऑप्टिमाइज़ करती है ताकि ग्रिड पर दबाव कम हो। BESCOM (कर्नाटक) और उत्तर प्रदेश के स्मार्ट मीटरों में भी AI के उपयोग से ग्रिड की समस्याओं की पहचान और समाधान संभव हो रहा है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- IEA के अनुसार, AI के कारण डेटा सेंटर्स की बिजली मांग 2030 तक चार गुना तक बढ़ सकती है।
- भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है, चीन और अमेरिका के बाद।
- अप्रैल 2025 तक, भारत के प्रमुख शहरों में लगभग 25% डेटा सेंटर्स ग्रीन-सर्टिफाइड हैं।
- भारत में 67% Grade A ऑफिस स्टॉक अब ग्रीन सर्टिफाइड है।