आर्कटिक में ‘पोलर सिल्क रूट’ की शुरुआत: समुद्री व्यापार में क्रांति या पारिस्थितिक संकट?

22 सितंबर 2025 को चीन का मालवाहक जहाज Istanbul Bridge जब निंगबो-झौशान बंदरगाह से रवाना हुआ, तो उसकी दिशा पारंपरिक मार्गों — जैसे कि स्वेज नहर या पनामा नहर — की ओर नहीं थी। इसके बजाय, यह उत्तरी दिशा में, रूस के तट से लगे बर्फीले आर्कटिक महासागर की ओर बढ़ा। इसका उद्देश्य था — चीन की महत्वाकांक्षी ‘पोलर सिल्क रूट’ को सक्रिय रूप देना। यह मार्ग एशिया को यूरोप और उत्तरी अमेरिका से जोड़ने का एक वैकल्पिक रास्ता है, जो समय और दूरी दोनों में कटौती करता है। लेकिन इस सुविधा की एक भारी पर्यावरणीय कीमत चुकानी पड़ सकती है।
पोलर सिल्क रूट: समुद्री व्यापार की नई दिशा
पोलर सिल्क रूट उत्तरी समुद्री मार्ग (Northern Sea Route – NSR) का आधुनिक रूप है, जिसका सपना यूरोपीय खोजकर्ताओं ने सदियों पहले देखा था। जलवायु परिवर्तन के चलते अब आर्कटिक की बर्फ पिघल रही है, जिससे यह मार्ग व्यापारिक जहाजों के लिए उपयोगी बनता जा रहा है।
इस रूट के ज़रिए चीन जैसे निर्यातक देश माल को यूरोप तक 18 दिनों में पहुंचा सकते हैं — जो पारंपरिक मार्गों की तुलना में तेज़ और अधिक कुशल है।
पर्यावरणीय संकट की चेतावनी
हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन “Arctic Sea Route access reshapes global shipping carbon emissions” ने इस मार्ग की भारी कीमत का खुलासा किया है। TISEP मॉडल (Trade-Integrated Shipping Emissions Projection) के अनुसार:
- 2022 में आर्कटिक समुद्री उत्सर्जन 1.00 मिलियन टन CO₂eq था, जो 2100 तक 117.61 मिलियन टन तक पहुंच सकता है, विशेषकर तेल, गैस और रासायनिक टैंकरों की बढ़ती आवाजाही के कारण।
- ASR वैश्विक समुद्री उत्सर्जन में 0.22% से बढ़कर 2.72% तक पहुंच सकता है, जिससे यह दुनिया के पांच सबसे प्रदूषित समुद्री मार्गों में से एक बन जाएगा।
- लिंकन सागर और बैफिन खाड़ी जैसे पहले कम उत्सर्जन वाले क्षेत्र अब कार्बन हॉटस्पॉट में बदल जाएंगे।
यह परिवर्तन न केवल आर्कटिक में ग्लोबल वार्मिंग को तेज़ करेगा, बल्कि अल्बेडो इफेक्ट और पर्माफ्रॉस्ट को भी अस्थिर कर सकता है — जिससे मीथेन गैस का भारी उत्सर्जन हो सकता है।
वैश्विक असमानताएं और खतरे
- आर्कटिक मार्ग के उपयोग से मालक्का जलडमरूमध्य, स्वेज नहर, और पनामा नहर जैसे पारंपरिक समुद्री मार्गों पर उत्सर्जन कम होगा, लेकिन उत्तरी यूरोप, उत्तर अमेरिका और पूर्वी एशिया में प्रदूषण और कार्बन लोड में भारी वृद्धि होगी।
- उदाहरण के लिए, ओस्लो–रॉटरडैम कॉरिडोर पर उत्सर्जन 5.3 मिलियन टन से बढ़कर 39.37 मिलियन टन तक पहुँच सकता है।
- इससे महासागर अम्लीकरण और समुद्री जैवविविधता को गंभीर खतरा होगा, जो वैश्विक मत्स्य उद्योग के लिए भी संकट बन सकता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- Northern Sea Route रूस के आर्कटिक तट के साथ जुड़ा समुद्री मार्ग है, जो यूरोप और एशिया को जोड़ता है।
- TISEP मॉडल एक नया अनुसंधान ढांचा है जो समुद्री उत्सर्जन का व्यापार, मार्ग और नीति के आधार पर मूल्यांकन करता है।
- Albedo effect बर्फ और बर्फीली सतहों द्वारा सूर्य की रोशनी को परावर्तित करने की क्षमता को कहते हैं — इसके कम होने से तापमान बढ़ता है।
- पोलर सिल्क रूट चीन की “बेल्ट एंड रोड” नीति के समुद्री विस्तार का हिस्सा है।