आरबीआई ने मुद्रास्फीति लक्ष्य ढांचे पर चर्चा-पत्र जारी किया, लक्ष्य बढ़ाने को लेकर दी चेतावनी

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 22 अगस्त को देश की मौद्रिक नीति रूपरेखा (Monetary Policy Framework) पर बहुप्रतीक्षित चर्चा-पत्र जारी किया। इसमें स्पष्ट किया गया है कि मौजूदा परिस्थिति में मुद्रास्फीति लक्ष्य (inflation target) को बढ़ाना मौद्रिक अनुशासन में ढील समझा जा सकता है और पिछले एक दशक में नीति तथा संस्थागत विश्वसनीयता के जो लाभ मिले हैं, वे खो सकते हैं।

चर्चा-पत्र में उठाए गए मुख्य सवाल

RBI ने चार प्रमुख प्रश्नों पर सार्वजनिक और विशेषज्ञों से 18 सितंबर तक प्रतिक्रिया मांगी है:

  1. क्या मौद्रिक नीति को हेडलाइऩ (Headline) या कोर (Core) मुद्रास्फीति को लक्ष्य बनाना चाहिए?
  2. क्या वर्तमान 4% का मुद्रास्फीति लक्ष्य विकास और स्थिरता के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए उपयुक्त है?
  3. क्या 2-6% का सहनशीलता बैंड संशोधित किया जाना चाहिए या पूरी तरह समाप्त कर देना चाहिए?
  4. क्या केवल एक रेंज बनाए रखनी चाहिए और लक्ष्य दर (4%) को हटा देना चाहिए?

हेडलाइन बनाम कोर मुद्रास्फीति

  • हेडलाइऩ CPI में खाद्य और ईंधन शामिल होते हैं, जबकि कोर CPI इन्हें हटा देता है।
  • 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण ने सुझाव दिया था कि भारत को कोर मुद्रास्फीति को लक्ष्य बनाना चाहिए क्योंकि खाद्य कीमतें अक्सर आपूर्ति आधारित होती हैं।
  • लेकिन RBI का तर्क है कि खाद्य मुद्रास्फीति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसका प्रभाव अंततः कोर मुद्रास्फीति पर भी पड़ता है — मजदूरी, किराया और लागत में वृद्धि के माध्यम से।

मुद्रास्फीति लक्ष्य को बदलने पर RBI की चेतावनी

  • लक्ष्य को बढ़ाना, विशेष रूप से वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितता के दौर में, विदेशी निवेशकों को गलत संकेत दे सकता है और नीति की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • वहीं 4% से नीचे लक्ष्य लाना भी भारत के लिए उपयुक्त नहीं माना गया है, क्योंकि इससे विकास पर प्रभाव पड़ सकता है।

मौजूदा मुद्रास्फीति ढांचा

  • 2016 में लागू हुआ लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्य ढांचा, जिसमें 4% का मध्य लक्ष्य है और 2-6% का सहनशीलता बैंड
  • यह ढांचा हर 5 वर्षों में समीक्षा हेतु अनिवार्य है और वर्तमान लक्ष्य मार्च 2026 तक मान्य है।

हाल की मुद्रास्फीति स्थिति

  • जुलाई 2025 में CPI हेडलाइन मुद्रास्फीति 1.55% रही — जो कि मौजूदा CPI श्रृंखला में दूसरी सबसे कम है।
  • कोर मुद्रास्फीति घटकर 4.1% पर आ गई है।
  • जनवरी 2014 से अब तक, हेडलाइन मुद्रास्फीति 1.5% से 8.6% के बीच रही है, जबकि कोर मुद्रास्फीति अपेक्षाकृत स्थिर रही है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत ने 2016 में Flexible Inflation Targeting Framework को अपनाया।
  • वर्तमान लक्ष्य: 4% CPI मुद्रास्फीति (2%–6% की सीमा के साथ)।
  • RBI की मुद्रा नीति समिति (MPC) हर दो महीने में बैठक करती है और नीतिगत दरों को निर्धारित करती है।
  • S&P Global Ratings ने भारत की रेटिंग को BBB- से BBB में अपग्रेड किया, मुद्रास्फीति नियंत्रण में सफलता को मान्यता देते हुए।

RBI का यह चर्चा-पत्र भारत की मौद्रिक नीति के अगले दशक की दिशा तय करने में सहायक साबित होगा। इसमें नीतिगत स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के विश्वास को बनाए रखने की प्राथमिकता स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होती है।

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