आरबीआई के नए गोल्ड लोन दिशानिर्देश: छोटे कर्जदारों को राहत, नियम 2026 से लागू होंगे

भारत में सोने की कीमतों में तेजी और गोल्ड लोन की बढ़ती मांग को देखते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने गोल्ड लोन पर नए दिशानिर्देशों का मसौदा जारी किया है। इन प्रस्तावित नियमों का उद्देश्य ऋण प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाना, जोखिम प्रबंधन को सुदृढ़ करना और कर्जदारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। हालांकि, वित्त मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि ₹2 लाख से कम के गोल्ड लोन को इन सख्त नियमों से छूट दी जाए और नए नियम 1 जनवरी 2026 से लागू हों, ताकि सभी हितधारकों को तैयारी का पर्याप्त समय मिल सके।
गोल्ड लोन नियमों में बदलाव की आवश्यकता क्यों?
पिछले कुछ वर्षों में गोल्ड लोन की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सितंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच गोल्ड लोन में लगभग 30% की वृद्धि दर्ज की गई । इस तेजी के साथ-साथ गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) में भी वृद्धि हुई है, जिससे बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए जोखिम बढ़ गया है। दिसंबर 2024 तक, वाणिज्यिक बैंकों द्वारा ₹2,040 करोड़ के गोल्ड लोन NPA दर्ज किए गए, जो पिछले वर्ष ₹1,404 करोड़ थे। इसी अवधि में, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के गोल्ड लोन NPA ₹4,784 करोड़ तक पहुंच गए, जो पिछले वर्ष ₹3,904 करोड़ थे।
आरबीआई के मसौदा दिशानिर्देशों के प्रमुख बिंदु
- ऋण-से-मूल्य (LTV) अनुपात: उपभोग के लिए लिए गए गोल्ड लोन पर अधिकतम LTV अनुपात 75% निर्धारित किया गया है। इसका अर्थ है कि सोने के मूल्य का अधिकतम 75% तक ही ऋण दिया जा सकेगा।
- सोने की शुद्धता का मूल्यांकन: ऋणदाता को सोने की शुद्धता का मूल्यांकन करने के लिए मानकीकृत प्रक्रिया अपनानी होगी, और केवल योग्य मूल्यांकक ही यह कार्य कर सकेंगे। मूल्यांकन के समय कर्जदार की उपस्थिति अनिवार्य होगी।
- स्वामित्व का प्रमाण: यदि मूल खरीद रसीद उपलब्ध नहीं है, तो कर्जदार को एक घोषणा पत्र प्रस्तुत करना होगा, जिसमें आभूषण या सिक्के के स्वामित्व की जानकारी दी जाएगी।
- ऋण का उद्देश्य: उपभोग और आय सृजन के लिए लिए गए गोल्ड लोन के लिए अलग-अलग नियम होंगे। आय सृजन वाले ऋण के लिए ऋणदाता को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऋण का उपयोग निर्धारित उद्देश्य के लिए ही हो रहा है।
- गोल्ड लोन की सीमा: एक कर्जदार द्वारा गिरवी रखे गए सोने या चांदी के आभूषणों का कुल वजन 1 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। सोने के सिक्कों के लिए यह सीमा 50 ग्राम और चांदी के सिक्कों के लिए 500 ग्राम निर्धारित की गई है।
- पुनः गिरवी रखना: एक ही सोने को तब तक दोबारा गिरवी नहीं रखा जा सकता जब तक कि पहले के ऋण की सभी बकाया राशि, ब्याज और मूलधन का भुगतान नहीं हो जाता।
छोटे कर्जदारों के लिए वित्त मंत्रालय का प्रस्ताव
वित्त मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि ₹2 लाख से कम के गोल्ड लोन को आरबीआई के नए दिशानिर्देशों से छूट दी जाए। इस प्रस्ताव का उद्देश्य छोटे कर्जदारों, जैसे किसान और दैनिक मजदूरों, को त्वरित और सुलभ ऋण उपलब्ध कराना है । इसके अलावा, मंत्रालय ने नए नियमों के कार्यान्वयन की तिथि को 1 जनवरी 2026 तक स्थगित करने की सिफारिश की है, ताकि ऋणदाता और कर्जदार दोनों को तैयारी का पर्याप्त समय मिल सके।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- गोल्ड लोन का इतिहास: भारत में गोल्ड लोन का इतिहास पुराना है, और यह आपातकालीन वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने का एक लोकप्रिय माध्यम रहा है।
- गोल्ड कंट्रोल एक्ट, 1968: इस अधिनियम के तहत नागरिकों को सोने के बार और सिक्कों के स्वामित्व पर प्रतिबंध लगाया गया था, जिससे सोने के आधिकारिक बाजार पर प्रभाव पड़ा।
- सोने की कीमतें: वर्तमान में भारत में 24 कैरेट सोने की कीमत ₹95,760 प्रति 10 ग्राम है, जबकि 22 कैरेट सोने की कीमत ₹87,780 प्रति 10 ग्राम है।
- गोल्ड लोन का उपयोग: गोल्ड लोन का उपयोग मुख्य रूप से आपातकालीन खर्चों, जैसे चिकित्सा बिल, शिक्षा शुल्क, और कृषि निवेश के लिए किया जाता है।
- गोल्ड लोन एनबीएफसी: मुथूट फाइनेंस और मनप्पुरम फाइनेंस जैसी कंपनियां भारत में गोल्ड लोन प्रदान करने वाली प्रमुख गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां हैं।
भारत में गोल्ड लोन की बढ़ती मांग और उससे जुड़े जोखिमों को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने नए दिशानिर्देशों का प्रस्ताव रखा है। हालांकि, छोटे कर्जदारों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्रालय ने कुछ छूटों की सिफारिश की है। इन प्रस्तावित नियमों का उद्देश्य ऋण प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाना है, जिससे कर्जदारों और ऋणदाताओं दोनों को लाभ हो।