आरबीआई की लिक्विडिटी मैनेजमेंट रिपोर्ट: मौद्रिक नीति की स्थिरता की ओर एक निर्णायक कदम

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा हाल ही में प्रकाशित “तरलता प्रबंधन ढांचे की समीक्षा हेतु आंतरिक कार्यसमूह (IWG) की रिपोर्ट” ने भारत की मौद्रिक नीति की नींव माने जाने वाले लिक्विडिटी मैकेनिज्म की गहराई से पड़ताल की है। यह रिपोर्ट कई जटिल लेकिन अत्यंत आवश्यक पहलुओं पर प्रकाश डालती है, जिनका उद्देश्य मौद्रिक नीति के प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करना है।
14-दिन के VRR/VRRR को मुख्य ऑपरेशन से हटाने का प्रस्ताव
रिपोर्ट के अनुसार, 14-दिन के वेरिएबल रेट रेपो (VRR) और रिवर्स रेपो (VRRR) ऑपरेशन्स को मुख्य तरलता प्रबंधन उपकरण के रूप में समाप्त करने की आवश्यकता है। बैंकों की इस पर असहजता, सरकार के नकद शेषों की अस्थिरता और मुद्रा प्रवाह की अनिश्चितता के कारण यह अवधि व्यावहारिक नहीं रही। इसके स्थान पर साप्ताहिक रेपो ऑपरेशन्स और जरूरत अनुसार ‘फाइन-ट्यूनिंग’ ऑपरेशन्स की अनुशंसा की गई है।
संचालन लक्ष्य के रूप में WACR को बनाए रखने की सिफारिश
वेटेड एवरेज कॉल रेट (WACR) को संचालन लक्ष्य बनाए रखना रिपोर्ट के अनुसार उपयुक्त है, लेकिन इसमें यह भी रेखांकित किया गया है कि ओवरनाइट कॉल मनी सेगमेंट में गतिविधियों में गिरावट आई है, जिससे RBI का शॉर्ट-टर्म इंटरेस्ट रेट्स पर नियंत्रण कमज़ोर हुआ है। इसके लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है मौद्रिक नीति कॉरिडोर की संकीर्णता, जो बैंकों को आपसी लेनदेन के बजाय केंद्रीय बैंक से सीधे लेन-देन की ओर प्रेरित करती है।
न्यूनतम रिज़र्व आवश्यकता में लचीलापन लाने की जरूरत
IWG रिपोर्ट दर्शाती है कि बैंक लगभग हमेशा 95% से अधिक का दैनिक रिज़र्व बनाए रखते हैं, जबकि नियामकीय आवश्यकता केवल 90% है। इससे ‘एवरेजिंग’ की मौलिक प्रणाली निष्क्रिय हो गई है, जिससे ब्याज दरों में अस्थिरता को कम करने की क्षमता प्रभावित हो रही है। इसलिए, रिपोर्ट में न्यूनतम दैनिक रिज़र्व आवश्यकता को कम करने का सुझाव दिया गया है।
कॉल मनी मार्केट में SPDs की भूमिका पर पुनर्विचार
स्टैंडअलोन प्राइमरी डीलर्स (SPDs) की कॉल मनी मार्केट में 75% तक की भागीदारी होने के कारण दरों में अस्थिरता बढ़ रही है। उनके पास MSF (मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी) या SDF (स्टैंडिंग डिपॉज़िट फैसिलिटी) तक सीधी पहुंच नहीं है, जिससे वे कभी-कभी कॉल रेट को तय कॉरिडोर से बाहर धकेल देते हैं। रिपोर्ट में सुझाव है कि SPDs को इस बाजार से धीरे-धीरे बाहर किया जाए और उन्हें वैकल्पिक वित्तीय साधन दिए जाएं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- RBI की तरलता प्रबंधन प्रणाली नीति दर (Policy Rate) के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों को संतुलित करती है।
- वेटेड एवरेज कॉल रेट (WACR) मौद्रिक नीति का प्रमुख संचालन संकेतक है।
- भारत में रेपो और रिवर्स रेपो दरों के बीच मौजूदा अंतर 50 बेसिस पॉइंट्स है।
- ‘एवरेजिंग’ तंत्र का उद्देश्य रिज़र्व आवश्यकताओं के पालन में लचीलापन प्रदान करना है।
रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि WACR नीति दर के अनुरूप नहीं चलता, तो बाजार सहभागियों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है, जिससे मौद्रिक नीति का संदेश सही ढंग से प्रसारित नहीं हो पाता। इसलिए, RBI को संचालन लक्ष्य पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए न केवल अपनी रणनीतियों को पुनर्संगठित करना होगा, बल्कि तरलता प्रबंधन के प्रत्येक पहलू का वैज्ञानिक परीक्षण और सुधार भी करना होगा।
यह रिपोर्ट भारतीय मौद्रिक प्रणाली के लिए एक अवसर है, जहां तकनीकी पेचीदगियों को व्यावहारिक समाधान में परिवर्तित कर नीति की स्पष्टता और प्रभावशीलता को सुनिश्चित किया जा सकता है।