आरबीआई की रिपोर्ट: सीमा-पार भुगतान में भू-राजनीतिक जोखिम और डिजिटल बदलाव

आरबीआई की रिपोर्ट: सीमा-पार भुगतान में भू-राजनीतिक जोखिम और डिजिटल बदलाव

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी “पेमेंट सिस्टम रिपोर्ट” में यह स्पष्ट किया गया है कि जहां एक ओर तकनीकी नवाचार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से सीमा-पार भुगतान प्रणाली में बदलाव आ रहा है, वहीं भू-राजनीतिक तनाव और केंद्रीयीकृत वैश्विक वित्तीय ढांचा इसके लिए एक बड़ा जोखिम बनकर उभर रहे हैं। रिपोर्ट में सीमा-पार भुगतान, प्रौद्योगिकी, विनियमन और भुगतान साधनों की बदलती प्रवृत्तियों पर विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।

भू-राजनीतिक तनाव और सीमित मुद्रा निर्भरता

आरबीआई ने आगाह किया है कि प्रतिबंध, वित्तीय प्रणालियों पर पाबंदियां, या प्रमुख मुद्राओं की अत्यधिक निर्भरता से वैश्विक भुगतान प्रणाली बाधित हो सकती है। ऐसे में प्रभावित देश वैकल्पिक द्विपक्षीय या बहुपक्षीय व्यवस्था स्थापित कर सकते हैं। केंद्रीय बैंक ने इस आशंका को खास तौर पर उभारा है कि सीमित मुद्राओं पर निर्भरता और केंद्रीकृत निपटान प्रणाली से वैश्विक वित्तीय प्रवाह में व्यवधान आ सकता है।

तकनीकी सहयोग और UPI की वैश्विक पहुंच

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत सीमा-पार भुगतान प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए अन्य देशों के साथ सहयोग कर रहा है।

  • UPI और सिंगापुर के PayNow को 2023 में आपस में जोड़ा गया।
  • QR कोड के माध्यम से UPI ऐप की स्वीकृति भूटान, फ्रांस, मॉरिशस, नेपाल, सिंगापुर, यूएई और क़तर में लागू की गई है।
  • भारत मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड के साथ मिलकर Project Nexus का हिस्सा बना है, जिसका उद्देश्य विभिन्न देशों के तेज़ भुगतान प्रणालियों को जोड़ना है।

भारत में रेमिटेंस का रिकॉर्ड

भारत दुनिया का सबसे बड़ा रेमिटेंस प्राप्तकर्ता बना हुआ है — 2024 में $137.7 बिलियन के साथ। यह मैक्सिको ($67.6 बिलियन) से दोगुना है। भारत के प्रवासी समुदाय की बड़ी भूमिका इसके पीछे रही है।

  • कुवैत से भारत आने वाला रेमिटेंस कॉरिडोर सबसे सस्ता रहा — केवल 2.10% लागत पर, जो संयुक्त राष्ट्र के SDG लक्ष्य (3%) से भी कम है।

कार्ड उपयोग और डिजिटल विकल्प

रिपोर्ट में बताया गया कि जून 2025 तक भारत में 1.17 बिलियन सक्रिय कार्ड थे — जिनमें 111.2 मिलियन क्रेडिट कार्ड और एक बिलियन से अधिक डेबिट कार्ड शामिल हैं।

  • क्रेडिट कार्ड का उपयोग ऑनलाइन खरीदारी और उधारी के लिए बढ़ा है।
  • डेबिट कार्ड मुख्यतः नकद निकासी और बुनियादी लेनदेन में प्रयुक्त हो रहे हैं।
  • दोनों को डिजिटल भुगतान विकल्पों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।

बैंकों के अनुसार कार्ड वितरण में भी बदलाव दिखा:

  • निजी बैंकों की हिस्सेदारी 2020 के 65.8% से बढ़कर 2025 में 70.8% हो गई।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी 22.5% से बढ़कर 24.1% हुई।
  • विदेशी बैंकों की हिस्सेदारी 11.7% से गिरकर 4.1% पर आ गई।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • Project Nexus एक बहुपक्षीय पहल है जिसका उद्देश्य घरेलू फास्ट पेमेंट सिस्टम्स को जोड़ना है।
  • UPI को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर QR कोड आधारित भुगतानों के लिए अपनाया जा रहा है।
  • भारत में डिजिटल भुगतान का कुल मूल्य 2024 में ₹2,830 ट्रिलियन तक पहुंच गया, जिसमें अधिकांश वृद्धि डिजिटल माध्यमों से हुई।
  • 2024 में भारत को प्राप्त रेमिटेंस $137.7 बिलियन रहा, जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है।

RBI की यह रिपोर्ट यह दर्शाती है कि भारत न केवल घरेलू स्तर पर भुगतान प्रणाली में डिजिटल बदलाव का नेतृत्व कर रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी वित्तीय नवाचार और सहयोग के ज़रिए एक मजबूत उपस्थिति बना रहा है।

Originally written on October 25, 2025 and last modified on October 25, 2025.

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