आरबीआई की नई वित्तीय समावेशन रणनीति 2025–30: ‘पंच-ज्योति’ के साथ समग्र विकास का रोडमैप
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 2025 से 2030 की अवधि के लिए वित्तीय समावेशन को सशक्त बनाने हेतु एक व्यापक राष्ट्रीय रणनीति (National Strategy for Financial Inclusion – NSFI 2025–30) जारी की है। यह रणनीति एक ऐसे पारिस्थितिक तंत्र (ecosystem-based approach) को प्रोत्साहित करती है जिसमें वित्तीय सेवाओं तक पहुँच, उनकी गुणवत्ता और उपयोग को समान रूप से सुदृढ़ किया जाए, विशेषकर उन समुदायों में जो अब तक वित्तीय प्रणाली से वंचित रहे हैं।
रणनीति का मुख्य फोकस
एनएसएफआई 2025–30 का मुख्य उद्देश्य संस्थानों और हितधारकों के बीच समन्वित प्रयासों के माध्यम से अंतिम छोर तक पहुँच (last-mile access) सुनिश्चित करना है। इसके तहत ग्रामीण परिवारों, सूक्ष्म उद्यमों और कम सेवा प्राप्त समूहों को औपचारिक वित्तीय सेवाओं से जोड़ा जाएगा। इस रणनीति का जोर केवल पहुँच पर नहीं, बल्कि उपयोग पर भी है ताकि प्रत्येक व्यक्ति वित्तीय प्रणाली का सक्रिय भागीदार बन सके।
‘पंच-ज्योति’ उद्देश्य और 47 कार्य बिंदु
इस नई नीति का केंद्रबिंदु ‘पंच-ज्योति’ (Five Lamps) नामक पाँच प्रमुख उद्देश्य हैं, जिन्हें 47 लक्षित कार्य बिंदुओं (Action Points) द्वारा समर्थित किया गया है। इन उद्देश्यों में वित्तीय लचीलापन बढ़ाना, जिम्मेदार और सुलभ वित्तीय सेवाओं की समान पहुँच सुनिश्चित करना, तथा महिला-नेतृत्व वाले वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना शामिल है। साथ ही, कमजोर और वंचित वर्गों के लिए विशेष रूप से अनुकूलित योजनाएँ लागू की जाएँगी।
सहायक और कौशल-आधारित तंत्र का निर्माण
रणनीति का एक महत्वपूर्ण पहलू वित्तीय सेवाओं को आजीविका विकास और कौशल प्रशिक्षण से जोड़ना है। आरबीआई का मानना है कि जब वित्तीय सशक्तिकरण को कौशल और रोजगार सृजन से जोड़ा जाता है, तब यह दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता और परिवारों की आय-सुरक्षा में सहायक होता है। साथ ही, वित्तीय शिक्षा को प्रोत्साहित कर बचत, निवेश और ऋण उपयोग में अनुशासन लाने पर भी जोर दिया गया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- NSFI 2025–30 की रणनीति पाँच उद्देश्यों ‘पंच-ज्योति’ पर आधारित है।
- इसमें 47 कार्य बिंदु निर्धारित किए गए हैं।
- यह रणनीति लैंगिक-संवेदनशील (gender-sensitive) और महिला-नेतृत्व वाले वित्तीय समावेशन को प्राथमिकता देती है।
- ढाँचा टेक्निकल ग्रुप ऑन फाइनेंशियल इन्क्लूज़न एंड फाइनेंशियल लिटरेसी के तहत विकसित किया गया है।
बहु-एजेंसी सहयोग और राष्ट्रीय प्रभाव
इस रणनीति को तैयार करने में वित्तीय नियामकों, सरकारी विभागों और विकास संस्थानों के बीच व्यापक परामर्श किया गया। इसमें वित्त मंत्रालय, सेबी, आईआरडीएआई, पीएफआरडीए, नाबार्ड और नेशनल सेंटर फॉर फाइनेंशियल एजुकेशन (NCFE) जैसी संस्थाओं का योगदान शामिल रहा। आरबीआई के गवर्नर ने बताया कि पिछली पाँच वर्षीय रणनीति सफलतापूर्वक पूरी हुई थी और नई योजना अब उपभोक्ता संरक्षण तथा शिकायत निवारण प्रणालियों को और मजबूत करने पर केंद्रित होगी।