आरबीआई की नई गाइडलाइंस से बैंक समूहों को राहत, लेकिन अनुपालन मानकों को किया गया सख्त

आरबीआई की नई गाइडलाइंस से बैंक समूहों को राहत, लेकिन अनुपालन मानकों को किया गया सख्त

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने “कॉमर्शियल बैंक – वित्तीय सेवाओं का उपक्रम, 2025” शीर्षक से अंतिम दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनमें वाणिज्यिक बैंकों और उनके समूहों द्वारा वित्तीय सेवाओं के संचालन को लेकर कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इन दिशा-निर्देशों से जहां प्रमुख बैंक समूहों को पुनर्गठन से राहत मिली है, वहीं नियमों के पालन की बाध्यता को और अधिक कड़ा किया गया है।

ओवरलैपिंग लेंडिंग को मिली स्वीकृति

नए दिशानिर्देशों के अनुसार, अब बैंक समूह की कंपनियां (बैंक, एनबीएफसी, HFC आदि) एक जैसी उधार सेवाएं (overlapping lending) जारी रख सकती हैं, बशर्ते उन्हें बोर्ड स्तर पर स्वीकृति प्राप्त हो।

  • इससे 12 बड़े बैंक समूहों को पुनर्गठन से राहत मिली है, जिन्हें पूर्व मसौदे के तहत अपनी संरचना बदलनी पड़ती।
  • अब बैंक और उनकी अनुषंगी इकाइयां भिन्न ग्राहक रणनीतियों के साथ काम कर सकेंगी, बिना नियामकीय उल्लंघन के।

समूह स्तर पर नियमों का समन्वय

हालांकि पुनर्गठन में राहत दी गई है, आरबीआई ने पूर्व मसौदे की कुछ मुख्य शर्तों को बनाए रखा है:

  • बैंक समूह में शामिल NBFCs को “upper-layer” scale-based नियमन के अंतर्गत लाया गया है, जो उन्हें मार्च 2028 तक पूरा करना होगा।
  • बैंक-स्तरीय ऋण और अग्रिम नियम अब इन NBFCs पर भी लागू होंगे।
  • परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (ARC) में बैंक समूह की हिस्सेदारी की सीमा 20% पर यथावत रखी गई है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • आरबीआई ने दिशा-निर्देश “Commercial Banks – Undertaking of Financial Services, 2025” शीर्षक से जारी किए।
  • बैंक समूहों के भीतर overlapping lending अब बोर्ड की मंजूरी से अनुमेय है।
  • ARC में बैंक समूह की शेयरधारिता 20% तक सीमित रखी गई है।
  • Upper-layer NBFCs को संशोधित नियम 31 मार्च 2028 तक अपनाने होंगे।

क्रिसिल रेटिंग्स का विश्लेषण

क्रिसिल के अनुसार यदि 2024 का मसौदा पूर्ण रूप से लागू होता तो 55% सेक्टोरल एडवांस और बैंकों के समेकित पोर्टफोलियो के 2-6% हिस्से को पुनर्गठन की आवश्यकता होती।

  • अंतिम गाइडलाइंस परिचालन में निरंतरता सुनिश्चित करती हैं, पर सभी उधार देने वाली संस्थाओं के लिए एकरूप मानकों को अनिवार्य बनाती हैं।

बेहतर प्रशासन और नियामकीय संतुलन की ओर

इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य बैंकों, NBFCs और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के बीच नियमों में सामंजस्य लाकर नियामकीय अंतर (regulatory arbitrage) को समाप्त करना है।

  • अधिकांश NBFC और HFC अनुषंगियां पहले से संशोधित मानकों के अनुरूप हैं, लेकिन कुछ सहयोगी संस्थाओं को अब ऐसी गतिविधियां बंद करनी होंगी जो बैंकों के लिए अनुमेय नहीं हैं।

कुल मिलाकर यह फ्रेमवर्क बैंकिंग समूहों की स्थिरता को बढ़ाता है और उन्हें एकीकृत नियामकीय संरचना में कुशलता से कार्य करने की सुविधा भी देता है।

Originally written on December 10, 2025 and last modified on December 10, 2025.

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