आयुर्वेद दिवस 2025: “लोगों और पृथ्वी के लिए आयुर्वेद” की ओर एक वैश्विक स्वास्थ्य आंदोलन

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली आज भी 88% सदस्य देशों — यानी 170 देशों — में प्रचलित है। भारत सहित अनेक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में यह चिकित्सा पद्धति सुलभता, affordability और सांस्कृतिक स्वीकृति के कारण प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का आधार बनी हुई है। लेकिन पारंपरिक चिकित्सा का महत्व केवल उपचार तक सीमित नहीं है — यह जैव विविधता संरक्षण, पोषण सुरक्षा और सतत आजीविका के लिए भी सहायक है।
वैश्विक स्तर पर बढ़ती स्वीकृति
विश्लेषकों के अनुसार, वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा बाजार 2025 तक $583 बिलियन तक पहुंच सकता है, जिसकी वार्षिक वृद्धि दर 10% से 20% के बीच है। इसमें:
- चीन की पारंपरिक चीनी चिकित्सा: $122.4 बिलियन
- ऑस्ट्रेलिया की हर्बल दवाइयाँ: $3.97 बिलियन
- भारत का AYUSH क्षेत्र: $43.4 बिलियन
यह परिवर्तन स्वास्थ्य देखभाल के दायरे को केवल रोग-उपचार से हटाकर रोग-निवारण और जीवन-शैली आधारित स्वास्थ्य की ओर ले जा रहा है।
भारत में आयुष की क्रांतिकारी प्रगति
भारत का AYUSH क्षेत्र — आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी — पिछले एक दशक में लगभग आठ गुना बढ़ चुका है। 92,000 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के साथ यह क्षेत्र अब:
- निर्माण क्षेत्र से: ₹1.37 लाख करोड़ का वार्षिक राजस्व
- सेवा क्षेत्र से: ₹1.67 लाख करोड़ का राजस्व
- निर्यात: $1.54 बिलियन से अधिक, 150+ देशों में
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (2022–23) के अनुसार, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 95% और शहरी क्षेत्रों में 96% लोगों को AYUSH प्रणाली की जानकारी है। आयुर्वेद, विशेष रूप से, रोग प्रतिरोधक और कायाकल्प के लिए प्रमुख विकल्प के रूप में उभरा है।
वैज्ञानिक आधार और वैश्विक विस्तार
भारत सरकार ने कई संस्थानों के माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा में वैज्ञानिक अनुसंधान को बल दिया है, जिनमें शामिल हैं:
- अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान
- आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान
- राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान
- केंद्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद
इनके माध्यम से दवाओं की मानकीकरण, नैदानिक परीक्षण और समन्वित चिकित्सा मॉडल पर कार्य हो रहा है।
भारत ने अब तक:
- 25 द्विपक्षीय समझौते
- 52 संस्थागत साझेदारियाँ
- 39 देशों में 43 आयुष सूचना केंद्र
- 15 विदेशी विश्वविद्यालयों में अकादमिक चेयर की स्थापना की है।
WHO द्वारा भारत में पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक केंद्र की स्थापना इस दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो AI, डिजिटल हेल्थ और आधुनिक विज्ञान के साथ पारंपरिक ज्ञान को जोड़ने का प्रयास कर रहा है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा बाजार: $583 बिलियन अनुमानित (2025 तक)
- भारत का AYUSH निर्यात: $1.54 बिलियन से अधिक
- 2025 की थीम: “लोगों और पृथ्वी के लिए आयुर्वेद”
- आयुर्वेद दिवस: प्रतिवर्ष 23 सितंबर को मनाया जाता है
- AYUSH उद्योग में MSMEs की संख्या: 92,000+