आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण पर संगोष्ठी: 84 वर्षों की न्यायिक सेवा और भविष्य की दिशा

आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण पर संगोष्ठी: 84 वर्षों की न्यायिक सेवा और भविष्य की दिशा

भारत के सबसे पुराने अर्ध-न्यायिक संस्थानों में से एक, आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) ने अपनी स्थापना के 84 वर्षों के उपलक्ष्य में एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया। “आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण – भूमिका, चुनौतियाँ और आगे का मार्ग” विषयक यह कार्यक्रम दिल्ली उच्च न्यायालय के सभागार में संपन्न हुआ, जिसमें देश के शीर्ष न्यायविद, विधिक विशेषज्ञ, सरकारी अधिकारी और विधि छात्र शामिल हुए।

84 वर्षों की गौरवशाली यात्रा

केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस अवसर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.आर. गवई का सम्मान करते हुए कहा कि 1941 में स्थापित ITAT ने अब तक 30 लाख से अधिक अपीलकर्ताओं को त्वरित और न्यायसंगत समाधान प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि भारत की विश्व अर्थव्यवस्था में चौथे स्थान पर पहुंचने में ITAT की निर्णायक भूमिका रही है।

न्यायिक संतुलन और आधुनिकरण की पहल

विधि मंत्रालय की सचिव डॉ. अंजू राठी राणा ने ITAT को निष्पक्ष और संतुलित न्याय का प्रतीक बताया। उन्होंने ट्रिब्यूनल की डिजिटल आधुनिकीकरण पहलों, भावी क्षमता निर्माण योजनाओं और वित्तीय अनुशासन बनाए रखने की आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला। दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने भी सभा को संबोधित किया और संस्थान की सतत प्रासंगिकता को रेखांकित किया।

परंपरा, प्रतिबद्धता और न्याय का संगम

कार्यक्रम की शुरुआत परंपरागत दीप प्रज्वलन से हुई, जो ज्ञान और न्याय की साधना का प्रतीक है। ITAT के अध्यक्ष (सेवानिवृत्त) न्यायमूर्ति सी.वी. भदंग ने ट्रिब्यूनल की विधिक प्रतिबद्धता और निष्पक्षता को दोहराते हुए स्वागत भाषण दिया। “84 Glorious Years of ITAT” नामक ऑडियो-विजुअल प्रस्तुति ने संस्थान की यात्रा, ऐतिहासिक निर्णयों और कर न्यायशास्त्र में उसके योगदान को प्रभावी रूप में प्रस्तुत किया।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) की स्थापना 25 जनवरी 1941 को हुई थी।
  • ITAT भारत का पहला अर्ध-न्यायिक निकाय है, जो केवल कर मामलों की सुनवाई करता है।
  • अब तक ITAT द्वारा 30 लाख से अधिक अपीलों का निष्पादन किया जा चुका है।
  • ITAT के निर्णयों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, लेकिन इसके अधिकांश फैसले सटीक और न्यायोचित माने जाते हैं।
Originally written on October 10, 2025 and last modified on October 10, 2025.

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