आयकर अधिनियम, 2025 लागू: भारत के प्रत्यक्ष कर ढांचे में छह दशकों बाद बड़ा सुधार
भारत सरकार ने प्रत्यक्ष कर प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए आयकर अधिनियम, 1961 को प्रतिस्थापित कर नया आयकर अधिनियम, 2025 लागू किया है। यह नया कानून 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा और वित्त वर्ष 2025–26 की आय पर लागू होगा। यह सुधार कर प्रणाली को सरल, स्पष्ट और प्रौद्योगिकी-संचालित बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।
आयकर अधिनियम, 2025 की आवश्यकता क्यों पड़ी?
1961 का आयकर अधिनियम समय के साथ अत्यधिक जटिल हो गया था, जिसमें 800 से अधिक धाराएं, बार-बार संशोधन और व्याख्यात्मक भ्रम शामिल थे। करदाताओं को अनुपालन में कठिनाई होती थी और विवादों की संख्या लगातार बढ़ रही थी।
इन्हीं समस्याओं को हल करने के लिए सरकार ने कर कानून को पूरी तरह से पुनर्लेखन करने का निर्णय लिया, ताकि अप्रचलित प्रावधानों को हटाया जा सके, विवादों को कम किया जा सके और डिजिटल अर्थव्यवस्था के अनुरूप कर प्रणाली को आधुनिक रूप दिया जा सके।
प्रभावी तिथि और संक्रमण काल
हालांकि इस अधिनियम को अगस्त 2025 में राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल चुकी है, यह 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। इसका अर्थ है कि मूल्यांकन वर्ष 2026–27 तक आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधान ही लागू रहेंगे। हालांकि, प्रशासनिक और प्रक्रियागत बदलाव आगामी वित्त वर्ष से ही कर अनुपालन प्रणाली को प्रभावित करने लगेंगे।
संरचनात्मक और प्रक्रियागत मुख्य बदलाव
- धाराओं की संख्या: 819 से घटाकर 536 कर दी गई है।
- अध्यायों की संख्या: 47 से घटाकर 23 की गई है।
- भाषा में सरलता: जटिल कानूनी भाषा को सरल बनाते हुए अधिकतम स्थानों पर तालिकाएं और सूत्रों का उपयोग किया गया है।
- नवीन ‘कर वर्ष’ की अवधारणा: पहले ‘पूर्व वर्ष’ और ‘मूल्यांकन वर्ष’ की दोहरी अवधारणा प्रचलित थी, जिसे अब एकीकृत ‘कर वर्ष’ से प्रतिस्थापित किया गया है, जिससे कर गणना और समझना अधिक आसान होगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- आयकर अधिनियम, 2025, आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेता है।
- यह अधिनियम 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा।
- धाराओं की संख्या 819 से घटाकर 536 की गई है।
- एकीकृत ‘Tax Year’ प्रणाली लागू की गई है।
व्यक्तिगत करदाताओं के लिए प्रभाव
हालांकि आयकर की दरें और स्लैब्स यथावत हैं, लेकिन संशोधित कर व्यवस्था के अंतर्गत उच्च छूट और बड़ा मानक कटौती प्रावधान लागू किया गया है, जिससे ₹12 लाख तक की आय प्रभावी रूप से करमुक्त हो सकती है।
इसके अतिरिक्त:
- आयकर रिटर्न फॉर्म अब और सरल बनाए गए हैं।
- अधिक डिजिटल और फेसलेस प्रक्रियाओं को अपनाया गया है।
- स्पष्ट प्रावधानों से विवादों की संभावना कम होगी।
यह सुधार वेतनभोगियों, पेशेवरों और छोटे व्यापारियों के लिए अनुपालन को अधिक सुलभ बनाएगा और भारत के कर प्रशासन को पारदर्शी और आधुनिक बनाएगा।
आयकर अधिनियम, 2025 भारत के कर इतिहास में एक नया अध्याय है, जो न केवल प्रशासनिक दक्षता बढ़ाएगा, बल्कि करदाताओं में विश्वास और स्पष्टता भी उत्पन्न करेगा।