“आदि संस्कृति” डिजिटल मंच: जनजातीय विरासत को सहेजने और समृद्ध बनाने की नई पहल

भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 10 सितंबर 2025 को ‘आदि संस्कृति’ मंच का बीटा संस्करण लॉन्च किया। नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ के अवसर पर राज्य मंत्री श्री दुर्गादास उइके द्वारा इस मंच का उद्घाटन किया गया। यह पहल जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने, डिजिटल माध्यम से शिक्षित करने और वैश्विक स्तर पर जनजातीय कारीगरों को जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
आदि संस्कृति मंच की तीन प्रमुख इकाइयाँ
आदि संस्कृति को तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित एक समग्र मंच के रूप में विकसित किया गया है, जो परंपरा, प्रौद्योगिकी और रोजगार को जोड़ता है:
1. आदि विश्वविद्यालय (Adi Vishwavidyalaya):यह डिजिटल जनजातीय कला अकादमी है, जहाँ वर्तमान में 45 गहन पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। ये पाठ्यक्रम नृत्य, संगीत, चित्रकला, हस्तकला और लोककथाओं जैसे विषयों को कवर करते हैं, जिससे विश्वभर के सीखने वाले जनजातीय परंपराओं से परिचित हो सकें।
2. आदि संपदा (Adi Sampada):यह एक सामाजिक-सांस्कृतिक भंडार है जिसमें 5,000 से अधिक दस्तावेज़ संग्रहित हैं। ये दस्तावेज़ पाँच प्रमुख विषयों — नृत्य, चित्रकला, वस्त्र एवं परिधान, कलाकृतियाँ और आजीविका — को शामिल करते हैं। यह संग्रह भारत की जनजातीय विरासत का एक डिजिटल अभिलेखागार है।
3. आदि हाट (Adi Haat):प्रारंभिक रूप से ट्राइफेड (TRIFED) से जुड़ा यह ई-बाज़ार भविष्य में एक समर्पित डिजिटल मार्केटप्लेस के रूप में विकसित होगा। इससे जनजातीय कारीगरों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़कर सतत् आजीविका को बढ़ावा मिलेगा।
राज्य जनजातीय अनुसंधान संस्थानों की भागीदारी
आदि संस्कृति को ज़मीनी स्तर पर सटीक और प्रमाणिक बनाने के लिए इसे विभिन्न राज्य जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (TRIs) के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। पहले चरण में 15 राज्यों — जैसे आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश — ने इस परियोजना के अंतर्गत जनजातीय कलाओं के दस्तावेजीकरण और डिजिटल मानचित्रण में योगदान दिया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- आदि संस्कृति मंच को जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा 10 सितंबर 2025 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में लॉन्च किया गया।
- मंच की तीन इकाइयाँ हैं: आदि विश्वविद्यालय (45 पाठ्यक्रम), आदि संपदा (5000+ सांस्कृतिक दस्तावेज), और आदि हाट (ई-बाज़ार)।
- यह मंच दुनिया का पहला डिजिटल विश्वविद्यालय बनने की दिशा में अग्रसर है जो जनजातीय संस्कृति को समर्पित है।
- पूर्व में ‘आदि वाणी’ नामक एआई आधारित जनजातीय भाषा अनुवादक भी लॉन्च किया गया था।