आदिवासी सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक पहल: ‘आदि वाणी’ प्लेटफॉर्म का बीटा संस्करण हुआ लॉन्च

जनजातीय गौरव वर्ष (Janjatiya Gaurav Varsh) के अंतर्गत एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 2 सितंबर को ‘आदि वाणी’ (Adi Vaani) — भारत का पहला AI-संचालित जनजातीय भाषाओं का अनुवाद मंच — का बीटा संस्करण लॉन्च किया। यह पहल आदिवासी भाषाओं की संरक्षण, डिजिटलीकरण और उनके व्यापक उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक मील का पत्थर मानी जा रही है।
भाषाओं के माध्यम से सांस्कृतिक एकता की ओर
समरसता हॉल, डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री दुर्गादास उइके ने दीप प्रज्वलन कर उद्घाटन किया। इस अवसर पर मंत्रालय के सचिव श्री विभू नायर, प्रो. रंजन बनर्जी (निदेशक, IIT दिल्ली), श्री अनंत प्रकाश पांडेय (संयुक्त सचिव) और देशभर के राज्य जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (TRIs) के प्रतिनिधि शामिल हुए।
श्री उइके ने कहा कि भाषा किसी भी समुदाय की सांस्कृतिक पहचान की नींव होती है, और ‘आदि वाणी’ दूरदराज़ क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय समुदायों के लिए संवाद का सेतु बनेगा।
तकनीक और परंपरा का समन्वय
‘आदि वाणी’ को IIT दिल्ली के नेतृत्व में BITS पिलानी, IIIT हैदराबाद, IIIT नवा रायपुर और झारखंड, ओडिशा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और मेघालय के जनजातीय अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से विकसित किया गया है। यह प्लेटफॉर्म व्यावसायिक तकनीकों की तुलना में एक-दसवीं लागत में तैयार किया गया है, जिससे यह एक सुलभ और प्रभावी समाधान बन गया है।
बीटा संस्करण में यह प्लेटफॉर्म संताली (ओडिशा), भीली (मध्यप्रदेश), मुंडारी (झारखंड) और गोंडी (छत्तीसगढ़) भाषाओं को हिंदी और अंग्रेज़ी से जोड़ता है। कुई और गारो भाषाओं को भी शीघ्र जोड़ा जाएगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ‘आदि वाणी’ भारत का पहला AI-आधारित जनजातीय भाषा अनुवाद मंच है, जो टेक्स्ट और स्पीच दोनों का अनुवाद करता है।
- यह प्लेटफॉर्म वर्तमान में चार जनजातीय भाषाओं: संताली, भीली, मुंडारी और गोंडी का समर्थन करता है।
- इसे IIT दिल्ली और अन्य शीर्ष तकनीकी संस्थानों ने मिलकर विकसित किया है।
- ‘आदि वाणी’ का उद्देश्य 20 लाख से अधिक जनजातीय नवप्रवर्तकों को 2047 तक ‘विकसित भारत’ के निर्माण में सहभागी बनाना है।
डिजिटल भारत और समावेशी विकास की दिशा में
‘आदि वाणी’ शिक्षा, स्वास्थ्य और शासन से जुड़ी जानकारियों को स्थानीय भाषाओं में पहुंचाने का माध्यम बनेगा। प्लेटफॉर्म पर प्रधानमंत्री के भाषण, स्वास्थ्य संदेश, लोककथाएं और सांस्कृतिक विरासत का डिजिटलीकरण किया जा रहा है। छात्रों और प्रारंभिक शिक्षार्थियों के लिए संवादात्मक भाषा शिक्षण मॉड्यूल भी इसमें शामिल हैं।
इस पहल का उद्देश्य केवल भाषाई अनुवाद नहीं, बल्कि समावेशी विकास, डिजिटल सशक्तिकरण और सांस्कृतिक संरक्षण को भी सुनिश्चित करना है। यह ‘डिजिटल इंडिया’, ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’, ‘PM JANMAN’ और ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ जैसी योजनाओं के उद्देश्यों से भी मेल खाता है।
निष्कर्ष
‘आदि वाणी’ न केवल भारत के जनजातीय समुदायों को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर अल्प-संसाधित भाषाओं के संरक्षण का मॉडल भी प्रस्तुत करता है। यह मंच दर्शाता है कि जब तकनीक, परंपरा और नीति मिलकर कार्य करें, तो सामाजिक समावेश और सांस्कृतिक पुनरुत्थान की दिशा में सार्थक परिवर्तन संभव है।