आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम: DRDO ने सेना के लिए 28 स्वदेशी हथियार प्रणाली उपलब्ध कराई

भारत सरकार की आत्मनिर्भर रक्षा नीति को बल देते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने तीनों सेनाओं — थलसेना, नौसेना और वायुसेना — के लिए आपातकालीन खरीद के तहत 28 स्वदेशी रूप से विकसित हथियार प्रणालियाँ पेश की हैं। यह पहल “ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता और पाकिस्तान को दी गई मुंहतोड़ जवाब के बाद की गई है, जिससे भारत की रक्षा तैयारियों को और मजबूती मिलेगी।
आपातकालीन खरीद के तहत सेना को स्वायत्तता
आपातकालीन खरीद की स्वीकृति के अंतर्गत सेनाओं को नए हथियार जोड़ने और मौजूदा प्रणाली को पुनः पूरित करने की स्वायत्तता दी गई है। DRDO ने यह सूची ऐसे समय साझा की है जब सरकार पहले ही सेनाओं को इस प्रकार की खरीद की मंजूरी दे चुकी है।
प्रस्तावित हथियारों की सूची में रॉकेट, मिसाइल, ग्रेनेड, एंटी-ड्रोन सिस्टम जैसे कई प्रकार की आधुनिक प्रणालियाँ शामिल हैं। DRDO ने खरीद को सुगम बनाने के लिए सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) और निजी रक्षा उत्पादकों की सूची भी सेनाओं को उपलब्ध कराई है।
ऑपरेशन सिंदूर से मिली प्रेरणा
‘ऑपरेशन सिंदूर’, जो कि पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में प्रारंभ हुआ था, में DRDO द्वारा विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल, MRSAM और आकाश वायु रक्षा प्रणाली ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 10 मई को पाकिस्तान के मुरिद और नूर खान एयरबेस पर भारत की जवाबी कार्रवाई में इन प्रणालियों की सफलता ने रक्षा मंत्रालय को उत्साहित किया।
एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी के अनुसार, यह प्रमाणित हो चुका है कि स्वदेशी हथियार प्रणाली “ऑपरेशन सिंदूर” में प्रभावी साबित हुई और पाकिस्तान को ठोस जवाब देने में सक्षम रही। यही कारण है कि ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी है और स्वदेशी क्षमताओं पर निर्भरता और भी अधिक बढ़ाई जा रही है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- DRDO द्वारा आपातकालीन खरीद के लिए कुल 28 हथियार प्रणालियाँ प्रस्तावित की गई हैं: 14 थलसेना के लिए, 8 नौसेना के लिए, और 6 वायुसेना के लिए।
- ब्रह्मोस, आकाश और MRSAM सिस्टम्स “ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता के पीछे मुख्य हथियार रहे हैं।
- “ऑपरेशन सिंदूर” भारत द्वारा पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई में शुरू किया गया था।
- मई 2025 में भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान के मुरिद और नूर खान एयरबेस पर लक्षित हमले किए।
यह निर्णय न केवल भारतीय सेनाओं की त्वरित आवश्यकताओं को पूरा करता है, बल्कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और मजबूत कदम भी है। DRDO की यह पहल यह दर्शाती है कि भारत अब न केवल अपने सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए तैयार है, बल्कि अपनी स्वदेशी तकनीकों पर गर्व के साथ भरोसा भी कर रहा है।