आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम: मथुरा-कोटा सेक्शन पर ‘कवच 4.0’ प्रणाली का सफल संचालन

भारतीय रेलवे ने देश की सुरक्षा व्यवस्था में एक ऐतिहासिक प्रगति करते हुए, दिल्ली-मुंबई उच्च घनत्व मार्ग के मथुरा-कोटा खंड पर स्वदेशी रूप से विकसित ‘कवच’ ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम (ATP) का सफल संचालन किया है। यह प्रणाली ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विज़न के अंतर्गत विकसित की गई है और भारतीय रेलवे के अनुसंधान डिज़ाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा स्वीकृत की गई है।
क्या है ‘कवच 4.0’?
‘कवच 4.0’ भारतीय रेलवे द्वारा डिज़ाइन, विकसित और निर्मित एक आधुनिक सुरक्षा प्रणाली है, जिसका उद्देश्य मानवीय त्रुटियों को न्यूनतम कर ट्रेन संचालन को अधिक सुरक्षित बनाना है। यह प्रणाली अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है और इसे सुरक्षा अखंडता स्तर 4 (SIL-4) पर डिज़ाइन किया गया है, जो किसी भी सुरक्षा प्रणाली का उच्चतम स्तर होता है।
कवच 4.0 की विशेषताएँ
- यह प्रणाली ट्रेन गति की निगरानी करती है और आवश्यकता पड़ने पर स्वतः ब्रेक लगाकर टकराव रोकती है।
- खराब दृश्यता जैसे कोहरे में भी लोको पायलट को बाहर देखकर सिग्नल देखने की आवश्यकता नहीं होती।
- ड्राइवर के केबिन में लगे डैशबोर्ड पर सभी महत्वपूर्ण सूचनाएँ प्रदर्शित होती हैं।
- यह प्रणाली 160 किमी/घंटा तक की गति पर भी प्रभावी है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ‘कवच’ प्रणाली का विकास 2015 में शुरू हुआ और इसे तीन वर्षों तक व्यापक रूप से परीक्षण किया गया।
- पहली बार इसे दक्षिण मध्य रेलवे (SCR) में 2018 में लागू किया गया था।
- ‘कवच 4.0’ को मई 2025 में स्वीकृति मिली और जुलाई 2024 में RDSO द्वारा अधिकृत किया गया।
- भारत में पिछले 60 वर्षों में कोई अंतरराष्ट्रीय मानकों वाला ट्रेन सुरक्षा सिस्टम स्थापित नहीं किया गया था।
- IRISET ने देशभर के 17 AICTE अनुमोदित इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ MoU पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे B.Tech पाठ्यक्रम में ‘कवच’ को शामिल किया गया है।
भविष्य की योजना
भारतीय रेलवे का लक्ष्य है कि अगले 6 वर्षों में देशभर के विभिन्न मार्गों पर ‘कवच 4.0’ प्रणाली को लागू किया जाए। अब तक 30,000 से अधिक लोगों को इस प्रणाली पर प्रशिक्षित किया जा चुका है। इससे न केवल रेल यात्रा अधिक सुरक्षित होगी, बल्कि ट्रेन संचालन में दक्षता भी बढ़ेगी।
‘कवच 4.0’ का सफल संचालन भारतीय रेलवे की तकनीकी आत्मनिर्भरता और सुरक्षा में आत्मविश्वास को दर्शाता है। यह प्रणाली न केवल भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई है, बल्कि यह भारतीय तकनीकी सामर्थ्य का एक प्रेरणादायक उदाहरण भी है।