आत्मनिर्भरता के लिए दाल मिशन: आयात पर निर्भरता घटाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल

आत्मनिर्भरता के लिए दाल मिशन: आयात पर निर्भरता घटाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल

भारत सरकार ने देश में दालों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने और आयात पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से ‘पल्सेस में आत्मनिर्भरता मिशन’ की शुरुआत की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 11 अक्टूबर को इस महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ किया गया, जिसकी घोषणा पहली बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को केंद्रीय बजट भाषण में की थी। मिशन का उद्देश्य न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाना है, बल्कि पोषण सुरक्षा और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना भी है।

मिशन के प्रमुख उद्देश्य और लक्ष्य

इस छह वर्षीय मिशन (2025-26 से 2030-31) के लिए ₹11,440 करोड़ का बजटीय प्रावधान किया गया है। इसका मुख्य लक्ष्य 2023-24 के 242 लाख मीट्रिक टन उत्पादन को बढ़ाकर 2030-31 तक 350 लाख मीट्रिक टन करना है — यानी 45% की वृद्धि। इसके साथ ही:

  • दालों के अंतर्गत क्षेत्रफल को 275 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 310 लाख हेक्टेयर किया जाएगा (13% वृद्धि)।
  • औसत उत्पादकता 881 किलोग्राम/हेक्टेयर से बढ़ाकर 1130 किलोग्राम/हेक्टेयर करने का लक्ष्य है (28% वृद्धि)।

इस मिशन में जलवायु सहनशील बीजों का विकास, प्रोटीन की मात्रा में सुधार, भंडारण सुविधाओं को मजबूत करना और किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाना मुख्य घटक हैं।

तुअर, उड़द और मसूर पर विशेष ध्यान क्यों?

वर्तमान में ये तीन दालें कुल दाल क्षेत्रफल का लगभग 34% कवर करती हैं और उत्पादन में भी महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। लेकिन इनकी उत्पादकता में अब भी काफी अंतर है जिसे पाटा जाना आवश्यक है। मिशन के तहत:

  • तुअर की खेती के लिए 9 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र शामिल किया जाएगा, खासकर कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात और झारखंड में।
  • उड़द की खेती को धान की परती भूमि (rice fallows) में यूपी, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में बढ़ावा मिलेगा।
  • मसूर की खेती बिहार, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल की परती भूमि में प्रोत्साहित की जाएगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत विश्व का सबसे बड़ा दाल उत्पादक और उपभोक्ता देश है।
  • 2023-24 में भारत में कुल 242 लाख मीट्रिक टन दालों का उत्पादन हुआ।
  • सबसे अधिक उत्पादन मध्य प्रदेश (59.74 लाख मीट्रिक टन) में दर्ज किया गया।
  • आयातित दालें मुख्यतः म्यांमार, तंज़ानिया, मोज़ाम्बिक, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से आती हैं।

मिशन के संचालन की प्रमुख रणनीतियाँ

इस योजना के तहत क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाएगा, जिसमें प्रत्येक क्लस्टर में न्यूनतम 10 हेक्टेयर (पहाड़ी और पूर्वोत्तर क्षेत्र में 2 हेक्टेयर) भूमि शामिल होगी। चयनित जिलों में NITI आयोग द्वारा सुझाई गई विभिन्न श्रेणियों (HA-HY, HA-LY, LA-HY, LA-LY) के अनुसार दाल उत्पादन की क्षमता को ध्यान में रखा जाएगा।

Originally written on October 29, 2025 and last modified on October 29, 2025.

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