आकाशगंगा ‘अलकनंदा’ की खोज: भारतीय खगोलविदों की बड़ी उपलब्धि
भारतीय वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड के शुरुआती युग में विकसित हुई एक परिपक्व सर्पिल आकाशगंगा ‘अलकनंदा’ की खोज की है। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की सहायता से की गई यह खोज अब तक की गैलेक्सी विकास की मान्य अवधारणाओं को चुनौती देती है। इस खोज से यह संकेत मिलता है कि विशाल और संगठित आकाशगंगाएँ ब्रह्मांड के इतिहास में अपेक्षाकृत जल्दी बन गई थीं।
प्रारंभिक ब्रह्मांड में एक परिपक्व सर्पिल संरचना
अलकनंदा लगभग 12 अरब वर्ष पुरानी आकाशगंगा है, जो उस समय की है जब ब्रह्मांड केवल 1.5 अरब वर्ष का था। उस युग में वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि आकाशगंगाएँ अनियमित और अस्थिर आकार की होंगी। परंतु अलकनंदा एक स्पष्ट और विकसित “ग्रैंड डिज़ाइन” सर्पिल संरचना प्रदर्शित करती है, जो हमारी मिल्की वे जैसी दिखती है।
वैज्ञानिकों ने देखा कि इस आकाशगंगा में दो सटीक सर्पिल भुजाएँ हैं, जो एक केंद्रीय डिस्क से निकलती हैं और उज्ज्वल केन्द्रक (bulge) के चारों ओर घूमती हैं। यह उसकी संरचनात्मक परिपक्वता का प्रमाण है।
उच्च रेडशिफ्ट खगोलशास्त्र में भारत का योगदान
यह ऐतिहासिक खोज पुणे स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिकों ने की है। जांच में यह पाया गया कि आकाशगंगा में “beads-on-a-string” पैटर्न में तारों के समूह हैं, जो इसकी सर्पिल भुजाओं के साथ स्थित हैं।
अलकनंदा का आकार लगभग 30,000 प्रकाश वर्ष है और इसमें 10 अरब से अधिक तारे हैं। इसकी तुलना में, यहां तारा निर्माण की गति मिल्की वे की तुलना में 20 से 30 गुना तेज़ है।
गैलेक्सी विकास मॉडल के लिए नई चुनौती
वर्तमान खगोलीय सिद्धांतों के अनुसार, स्थिर सर्पिल डिस्क वाली विशाल आकाशगंगाएँ बनने में अरबों वर्ष लगते हैं। लेकिन अलकनंदा की परिपक्वता यह दर्शाती है कि ब्रह्मांड के प्रारंभिक दौर में आकाशगंगाओं का निर्माण कहीं अधिक तेजी से हुआ होगा। यह आकाशगंगा सूर्य के द्रव्यमान से 10 अरब गुना अधिक भारी है, और माना जा रहा है कि इसका यह द्रव्यमान कुछ ही सौ मिलियन वर्षों में इकट्ठा हो गया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- अलकनंदा तब बनी जब ब्रह्मांड अपनी वर्तमान आयु का मात्र 10% था।
- यह आकाशगंगा पृथ्वी से लगभग 12 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित है।
- इसकी संरचना मिल्की वे जैसी विकसित सर्पिल आकृति में है।
- इसमें तारों का निर्माण मिल्की वे से 20–30 गुना अधिक तीव्रता से हो रहा है।
इस खोज ने ब्रह्मांडीय इतिहास में गैलेक्सी विकास के समय-सीमा को लेकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण को पूरी तरह बदल दिया है। खगोलविद अब ALMA और जेम्स वेब टेलीस्कोप की मदद से अलकनंदा की संरचना, रासायनिक संघटन और विकासक्रम का और गहराई से अध्ययन करेंगे, जिससे प्रारंभिक ब्रह्मांड की और सटीक तस्वीर मिल सकेगी।