आईएलओ की नई रिपोर्ट: असमानताओं के बीच थमी सामाजिक न्याय की रफ्तार

आईएलओ की नई रिपोर्ट: असमानताओं के बीच थमी सामाजिक न्याय की रफ्तार

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की नई रिपोर्ट “द स्टेट ऑफ सोशल जस्टिस: ए वर्क इन प्रोग्रेस” के अनुसार, पिछले तीस वर्षों में शिक्षा, गरीबी उन्मूलन और उत्पादकता में उल्लेखनीय सुधार हुए हैं, लेकिन अब भी गहरी असमानताएँ, संस्थाओं में घटता विश्वास और धीमी प्रगति सामाजिक न्याय की राह में बड़ी बाधाएँ बनी हुई हैं। सामाजिक न्याय का मूल उद्देश्य यह है कि हर व्यक्ति—चाहे उसकी जाति, लिंग या विश्वास कुछ भी हो—आर्थिक स्थिरता, स्वतंत्रता और समान अवसरों के साथ भौतिक समृद्धि व आत्मिक विकास प्राप्त कर सके।

दोहा में दूसरा विश्व सामाजिक विकास शिखर सम्मेलन

यह रिपोर्ट नवंबर 2025 में दोहा में आयोजित होने वाले दूसरे विश्व सामाजिक विकास शिखर सम्मेलन से पहले जारी की गई है, जो 1995 में कोपेनहेगन में हुए ऐतिहासिक सम्मेलन की 30वीं वर्षगांठ को चिह्नित करेगा। रिपोर्ट में आईएलओ ने सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने के लिए चार प्रमुख स्तंभ बताए हैं — मानवाधिकार और क्षमताएँ, समान अवसरों तक पहुंच, न्यायपूर्ण वितरण, और न्यायपूर्ण संक्रमण (Fair Transitions)।

प्रगति के बावजूद असमानताओं की जड़ें गहरी

आईएलओ के अनुसार, वर्ष 1995 की तुलना में 2025 में दुनिया अधिक संपन्न, स्वस्थ और शिक्षित है। उदाहरण के लिए, 5-14 वर्ष आयु वर्ग में बाल श्रम 250 मिलियन से घटकर 106 मिलियन पर आ गया है। कामकाजी मौतों में 10% की कमी, माध्यमिक शिक्षा पूर्णता दर में 22 प्रतिशत अंकों की वृद्धि, और अत्यधिक गरीबी में 39% से घटकर 10% की गिरावट दर्ज की गई है।इतिहास में पहली बार, 2023 के बाद से विश्व की आधी से अधिक आबादी किसी न किसी सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत आ चुकी है। लेकिन इन प्रगतियों के बावजूद, आय असमानता अब भी जटिल चुनौती बनी हुई है — किसी व्यक्ति की आय का लगभग 71% हिस्सा जन्म से तय परिस्थितियों पर निर्भर करता है।रिपोर्ट बताती है कि देश के आधार पर 55% आय असमानता निर्धारित होती है, यानी किसी व्यक्ति का जन्मस्थान ही उसके आर्थिक भविष्य को तय करने में सबसे बड़ा कारक है।

श्रम बाज़ार की चुनौतियाँ और सामाजिक असंतोष

रिपोर्ट में कहा गया है कि बाल श्रम में कमी के बावजूद अभी भी लाखों बच्चे खतरनाक परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं। अनौपचारिक रोजगार दो दशकों में केवल दो प्रतिशत घटा है और अब भी 58% श्रमिक इससे प्रभावित हैं।महिला श्रम भागीदारी दर में भी 2005 के बाद से केवल तीन प्रतिशत का सुधार हुआ है और यह अंतर अब भी 24% बना हुआ है।इसके अलावा, 1982 से विश्व स्तर पर संस्थाओं पर भरोसा लगातार घट रहा है, जो इस बात का संकेत है कि लोगों को लगता है कि उनकी मेहनत का उचित प्रतिफल नहीं मिल रहा। आईएलओ ने चेतावनी दी है कि यदि इस “सामाजिक अनुबंध” को मजबूत नहीं किया गया तो लोकतांत्रिक प्रणालियों की वैधता और वैश्विक सहयोग पर गंभीर असर पड़ सकता है।

परिवर्तन के दौर में जोखिम और अवसर

रिपोर्ट ने तीन प्रमुख संक्रमणों — पर्यावरणीय, डिजिटल, और जनसांख्यिकीय — को श्रम बाजार के भविष्य के लिए निर्णायक बताया है।

  • पर्यावरणीय नीतियाँ कार्बन-आधारित उद्योगों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए खतरा बन सकती हैं यदि “न्यायपूर्ण संक्रमण” की नीति नहीं अपनाई गई।
  • डिजिटल परिवर्तन तकनीकी असमानता को और गहरा सकता है।
  • जनसांख्यिकीय बदलाव, जैसे कुछ देशों में वृद्ध होती आबादी और अन्य में युवा जनसंख्या विस्फोट, श्रम बाजार और सामाजिक सुरक्षा प्रणाली पर दबाव डालेंगे।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की स्थापना 1919 में हुई थी और इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है।
  • ILO को 1946 में संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी का दर्जा मिला।
  • वर्ष 1969 में ILO को नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • “सामाजिक न्याय” की अवधारणा ILO के संविधान और फिलाडेल्फिया घोषणा (1944) की आधारशिला है।
Originally written on October 8, 2025 and last modified on October 8, 2025.

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