आंध्र प्रदेश में स्क्रब टायफस के मामलों में तेजी, स्वास्थ्य विभाग ने दी चेतावनी
आंध्र प्रदेश में स्क्रब टायफस (Scrub Typhus) संक्रमण के मामलों में तेज़ वृद्धि देखी जा रही है। विशेष रूप से चित्तूर, काकीनाडा और विशाखापट्टनम जैसे जिलों में सैकड़ों मरीज सामने आए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी दी है कि कई मामलों में इस बीमारी को वायरल बुखार या मौसमी संक्रमण समझकर उपचार में देरी की जा रही है, जिससे जटिलताएँ बढ़ रही हैं।
स्क्रब टायफस क्या है और कैसे फैलता है
स्क्रब टायफस एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो Orientia tsutsugamushi नामक जीवाणु से होता है। यह संक्रमण चिगर (Chigger) नामक कीट के काटने से फैलता है, जो माइट्स के लार्वा होते हैं। ये कीट सामान्यतः घनी झाड़ियों, धान के खेतों, झाड़ियों और गंदगी वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। किसान, खेतों में काम करने वाले मजदूर, बाहर खेलने वाले बच्चे और झाड़ियों या कचरे के ढेर के पास रहने वाले लोग अधिक जोखिम में रहते हैं। संक्रमण के लक्षण आमतौर पर 6 से 21 दिनों में उभरते हैं, जिनमें अधिकांश मामलों में यह अवधि 10 से 12 दिन होती है।
बढ़ते मामले और प्रभावित जिले
स्वास्थ्य निगरानी रिपोर्टों के अनुसार, कई जिलों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है। चित्तूर जिले में लगभग 379, काकीनाडा में 141 और विशाखापट्टनम में 123 मामले दर्ज किए गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविक संख्या इससे अधिक हो सकती है, क्योंकि शुरुआती लक्षण डेंगू, मलेरिया या इन्फ्लूएंजा जैसे लगते हैं, जिससे मरीज सही समय पर चिकित्सकीय सहायता नहीं लेते। यह देरी संक्रमण को गंभीर बना देती है।
लक्षण और शुरुआती पहचान का महत्व
मुख्य लक्षणों में तेज़ बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, बदन दर्द और लसीका ग्रंथियों (lymph nodes) में सूजन शामिल हैं। कई मरीजों में “एस्कार” (Eschar) नामक गहरे रंग का पपड़ीदार निशान भी देखा जाता है, जो चिगर के काटने के स्थान पर बनता है। यदि समय पर उपचार न मिले तो संक्रमण लीवर, फेफड़ों, गुर्दों और मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है। प्रारंभिक अवस्था में डॉक्सीसाइक्लिन या गर्भवती महिलाओं के लिए एज़िथ्रोमाइसिन से इलाज करने पर मृत्यु दर 2% से कम रहती है, जबकि देर से उपचार शुरू करने पर यह दर 6% से 30% तक पहुँच सकती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- स्क्रब टायफस Orientia tsutsugamushi जीवाणु से होता है।
- इसका संक्रमण चिगर (Chigger) के काटने से फैलता है।
- लक्षण सामान्यतः 6 से 21 दिनों में दिखाई देते हैं।
- प्रमुख प्रभावित जिले: चित्तूर, काकीनाडा और विशाखापट्टनम।
- “एस्कार” संक्रमण का एक विशिष्ट, किंतु हर मामले में न दिखने वाला लक्षण है।
संक्रमण बढ़ने के कारण और बचाव के उपाय
बरसात के बाद घनी वनस्पति का बढ़ना, कचरा प्रबंधन में कमी, नंगे पाँव काम करना, कम जागरूकता और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पहचान में देरी ये सभी कारक संक्रमण फैलाने में योगदान दे रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सलाह दी है कि वे घास या झाड़ियों में काम करते समय पूर्ण कपड़े पहनें, DEET या पर्मेथ्रिन युक्त मच्छर रोधी का प्रयोग करें, आसपास का वातावरण स्वच्छ रखें, और यदि लंबे समय तक बुखार या त्वचा पर घाव जैसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सकीय जांच कराएँ।