आंग्ल- मराठा युद्ध

आंग्ल- मराठा युद्ध

प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध
प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध सूरत संधि के कारण हुआ था, यह संधि 1776 ईसवी में की गयी थी। मार्च, 1776 ईसवी में अंग्रेज़ कापितन कर्नल आप्टन के बीच पुरंदर की संधि हुई थी। इस संधि के द्वारा कंपनी ने रघुनाथ राव का समर्थन न करने की बात कही थी। और सालसेट और थाना पर अपना अधिकारी सुनिश्चित किया था। परन्तु यह संधि अमल न नहीं लायी जा सकी। 1780 ईसवी में कंपनी ने अहमदाबाद, गुजरात और ग्वालियर पर विजय प्राप्त की। वर्ष 1782 में सालबाई की संधि अंग्रेजों और महादजी सिंधिया के बीच हुआ थी, इस संधि से प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध समाप्त हुआ था। इस युद्ध में मराठे विजयी हुये थे।
द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध
भोंसले और सिंधिया ने बसीन की संधि का विरोध किया था। इसके परिणाम स्वरुप इनमे संघर्ष हुआ, अंग्रेजों ने भोंसले और सिंधिया को 1803 में पराजित किया था। भोंसले को हारने के बाद देवगाँव की संधि की गयी थी। इस संधि के तहत भोंसले को कटक और वर्धा के क्षेत्र अंग्रेजों को देने पड़े। सिंधिया के साथ अंग्रेजों ने सुर्जी-अर्जन गाँव की संधि की थी। 1804 ईसवी में अंग्रेजों ने होलकर को हराकर राजपुर घाट की संधि की थी।
तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध
इस युद्ध के दौरान भारत का वाइसराय लार्ड हेस्टिंग्स था। उसने मराठा साम्राज्य को समाप्त करके उस पर कब्ज़ा करने का प्रयास किया। पिंडारियों का दमन करने के लिए उसने 1817 ईसवी में सिंधिया के साथ ग्वालियर की संधि की थी। अंग्रेजों ने भोंसले को सीताबर्डी युद्ध में पराजित किया, होलकर को महीदपुर के युद्ध में पराजित किया। अंग्रेजों ने मराठों को किर्की, कोरेगांव और अंटी में पराजित किया था। इसके फलस्वरूप पेशवा ने 1818 में अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके साथ ही मराठा शक्ति पूरी तरह समाप्त हो गयी।

Originally written on May 2, 2019 and last modified on May 2, 2019.

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