असम सरकार का बाल विवाह के विरुद्ध संकल्प: 2026 तक शून्य स्तर पर लाने का लक्ष्य

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य में बाल विवाह की प्रथा को 2026 तक पूरी तरह समाप्त करने का संकल्प लिया है। इस दिशा में सरकार द्वारा शुरू की गई ‘निजुत मोइना 2.0’ योजना को एक निर्णायक हथियार के रूप में देखा जा रहा है, जिसका उद्देश्य चार लाख से अधिक बालिकाओं को बाल विवाह से बचाकर उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा में लाना है।

‘निजुत मोइना 2.0’: बालिकाओं को शिक्षा और आत्मनिर्भरता की राह

मुख्यमंत्री ने योजना के दूसरे संस्करण का शुभारंभ करते हुए कहा, “हमने बाल विवाह के खिलाफ अपनी लड़ाई को तेज कर दिया है।” इस योजना के तहत:

  • 11वीं की छात्राओं को ₹1,000 प्रति माह,
  • डिग्री प्रथम वर्ष की छात्राओं को ₹1,250 प्रति माह, और
  • पीजी व बीएड की छात्राओं को ₹2,500 प्रति माह की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

इस योजना की खास बात यह है कि यह सभी परिवारों की बेटियों के लिए खुली है, भले ही उनकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो। हालांकि, कुछ अपवाद भी हैं जैसे— मंत्री, सांसद, विधायक की बेटियाँ, या वे छात्राएँ जिन्हें स्कूटर योजना का लाभ मिल रहा है (जब तक वे स्वयं उस योजना से बाहर न हों)।

सामाजिक विषमता को मिटाने का प्रयास

मुख्यमंत्री ने कहा, “असम में दो समाज समानांतर रूप से मौजूद हैं—एक जहां बेटियाँ विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रही हैं, और दूसरा जहां 14 वर्ष की आयु में उनका विवाह हो जाता है।” सरकार का लक्ष्य है कि इस सामाजिक विषमता को समाप्त कर सभी बेटियों को शिक्षा और आत्मनिर्भरता का अवसर मिले।
सरमा ने यह भी कहा कि असम भारत का एकमात्र राज्य है जहां छात्रों के लिए वैश्विक स्तर पर नि:शुल्क प्रवेश व्यवस्था है, और राज्य सरकार का लक्ष्य है कि हर बच्चा—चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या वर्ग से हो—गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सके।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ‘निजुत मोइना योजना’ असम सरकार की एक छात्रवृत्ति योजना है जिसका उद्देश्य बाल विवाह को रोककर शिक्षा को बढ़ावा देना है।
  • योजना का दूसरा संस्करण (2.0) अब उच्च माध्यमिक, स्नातक व स्नातकोत्तर के प्रथम व द्वितीय वर्ष की छात्राओं को कवर करता है।
  • असम सरकार का लक्ष्य है कि 2026 तक राज्य में बाल विवाह की दर शून्य पर पहुँच जाए।
  • असम अब आत्मनिर्भर, आकांक्षी और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वाला राज्य बन चुका है, जहां युवा आगे बढ़कर समाज के निर्माण में भागीदारी कर रहे हैं।

निष्कर्ष

‘निजुत मोइना 2.0’ योजना केवल एक आर्थिक सहायता योजना नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की नींव है। यह न केवल बालिकाओं को विवाह के बोझ से मुक्त करती है, बल्कि उन्हें शिक्षा और सम्मान के साथ भविष्य गढ़ने का अवसर भी देती है। यह पहल असम में एक नई सामाजिक क्रांति का संकेत है—जहां बेटियाँ सिर्फ सपने नहीं देखतीं, उन्हें पूरा भी करती हैं।

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