असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए नया विधेयक पेश

असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए नया विधेयक पेश

असम सरकार ने राज्य में बहुविवाह (Polygamy) पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण विधेयक विधानसभा में पेश किया है। इस विधेयक का उद्देश्य बहुविवाह को आपराधिक अपराध घोषित करना, स्पष्ट दंड प्रावधान निर्धारित करना और इससे प्रभावित महिलाओं को कानूनी सुरक्षा प्रदान करना है। यह पहल व्यक्तिगत कानूनों में सुधार और महिलाओं के अधिकारों को सशक्त बनाने की दिशा में राज्य सरकार की व्यापक नीति का हिस्सा है।

विधेयक का दायरा और लागू क्षेत्र

प्रस्तावित कानून पूरे असम राज्य में लागू होगा, लेकिन कुछ विशेष क्षेत्रों को इससे बाहर रखा गया है। यह कानून छठी अनुसूची (Sixth Schedule) के अंतर्गत आने वाले स्वायत्त प्रशासनिक क्षेत्रों और संविधान के अनुच्छेद 342 में वर्णित अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होगा। विधेयक का उद्देश्य उन समुदायों में वैवाहिक और पारिवारिक मामलों को नियंत्रित करना है, जहाँ राज्य को नागरिक और सामाजिक कानूनों पर अधिकार प्राप्त है।

प्रमुख दंड प्रावधान और अपराध की परिभाषा

विधेयक में बहुविवाह को एक गंभीर आपराधिक अपराध के रूप में वर्गीकृत किया गया है। पहली बार अपराध करने वाले व्यक्ति को सात वर्ष तक के कारावास की सजा हो सकती है। यदि कोई व्यक्ति अपनी पूर्व वैवाहिक स्थिति छिपाकर दूसरी शादी करता है, तो उसे दस वर्ष तक की सजा और आर्थिक दंड का प्रावधान है। कानून में बहुविवाह की परिभाषा स्पष्ट रूप से दी गई है ऐसी सभी शादियाँ अपराध मानी जाएँगी जिनमें पूर्व विवाह कानूनी रूप से समाप्त या निरस्त नहीं हुआ हो।

पुनरावृत्ति और सहयोगियों के लिए सख्त कार्रवाई

विधेयक के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति बार-बार इस अपराध को दोहराता है तो प्रत्येक अगली बार उसे दोगुनी सजा दी जा सकती है। साथ ही, यह कानून केवल अपराधी तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि ऐसे विवाह को संपन्न कराने या तथ्य छिपाने वाले व्यक्तियों पर भी कार्रवाई की जाएगी। ग्राम प्रधान, काजी, माता-पिता या अभिभावक जो जानबूझकर गलत जानकारी देकर विवाह करवाते हैं, उन्हें दो वर्ष तक की कैद या जुर्माना हो सकता है। विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहित या अधिकारी भी दंडित किए जा सकेंगे यदि वे कानून का उल्लंघन करते हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • विधेयक छठी अनुसूची के क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा।
  • संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत परिभाषित अनुसूचित जनजातियाँ इस कानून के दायरे से बाहर रहेंगी।
  • पहली बार दोषी पाए जाने पर सात वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।
  • दोषी व्यक्तियों को राज्य वित्तपोषित नौकरियों और सरकारी योजनाओं से वंचित किया जा सकेगा।

रोजगार और चुनावी पात्रता पर प्रतिबंध

विधेयक में प्रावधान किया गया है कि बहुविवाह के दोषी व्यक्ति को राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित या सहायता प्राप्त किसी भी पद पर नियुक्त नहीं किया जाएगा। साथ ही, ऐसे व्यक्ति राज्य द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे। कानून में दोषियों को पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने का भी प्रस्ताव है।

Originally written on November 26, 2025 and last modified on November 26, 2025.

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