असम में देश का पहला बांस आधारित एथनॉल प्लांट शुरू: आत्मनिर्भर ऊर्जा और औद्योगिक विकास की दिशा में बड़ी पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 सितंबर 2025 को असम के गोलाघाट ज़िले में देश के पहले बांस आधारित एथनॉल प्लांट का उद्घाटन किया और साथ ही एक अत्याधुनिक प्रोपलीन प्लांट की आधारशिला भी रखी। यह कार्यक्रम असम की औद्योगिक दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, जो राज्य के किसानों, युवाओं और उद्योगों के लिए नए अवसरों के द्वार खोल सकता है।
असम बायो-एथनॉल प्लांट: हरित ऊर्जा की ओर एक कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने असम बायो-एथनॉल प्राइवेट लिमिटेड (ABEL) के प्लांट का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह प्रोजेक्ट राज्य और पूरे पूर्वोत्तर भारत के लिए गर्व की बात है। यह बायोएथनॉल संयंत्र बांस (bamboo) के माध्यम से हरित ईंधन का उत्पादन करेगा, जो पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ पेट्रोलियम पर देश की निर्भरता को भी कम करेगा।
उन्होंने बताया कि पहले की सरकारों के शासन में बांस काटना अपराध था, और इसके लिए सजा का प्रावधान था। लेकिन वर्तमान सरकार ने इस प्रतिबंध को हटाया है, जिससे विशेष रूप से पूर्वोत्तर के जनजातीय समुदायों को भारी लाभ हो रहा है। अब सरकार बांस की खेती को बढ़ावा दे रही है और किसानों से सीधे इसकी खरीद का प्रबंध कर रही है।
प्रोपलीन प्लांट की आधारशिला: ‘मेक इन असम’ की दिशा में मजबूत कदम
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने एक प्रोपलीन प्लांट की आधारशिला भी रखी, जो आधुनिक प्लास्टिक उत्पादों के निर्माण में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में बाल्टी, मग, डिब्बे, कुर्सी, टेबल और पैकेजिंग जैसे प्लास्टिक उत्पादों के निर्माण में प्रोपलीन की अत्यंत आवश्यकता होती है। असम में इस प्रकार का प्लांट स्थापित होने से राज्य में मेक इन असम और मेक इन इंडिया अभियान को बल मिलेगा।
ऊर्जा आत्मनिर्भरता और हरित विकास
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अब हरित ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। दस वर्ष पहले भारत सौर ऊर्जा उत्पादन में पिछड़ा हुआ था, लेकिन अब यह दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शामिल हो गया है।
उन्होंने वैकल्पिक ईंधनों की ज़रूरत को रेखांकित करते हुए एथनॉल को एक प्रमुख समाधान बताया, जो देश को तेल और गैस के आयात पर निर्भरता से मुक्त करने में सहायता करेगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- बायो-एथनॉल एक वैकल्पिक जैविक ईंधन है, जिसे गन्ना, मक्का, या बांस जैसी जैविक सामग्रियों से तैयार किया जाता है।
- भारत में बांस आधारित एथनॉल प्लांट की यह पहली पहल है, जो पूर्वोत्तर भारत की भौगोलिक और सांस्कृतिक विशिष्टताओं का उपयोग कर रही है।
- 2017 में सरकार ने बांस को पेड़ की श्रेणी से हटाकर घास घोषित किया, जिससे इसकी कटाई और बिक्री आसान हुई।
- प्रोपलीन एक महत्वपूर्ण पेट्रोकेमिकल है, जिसका उपयोग प्लास्टिक, कपड़ा, ऑटोमोबाइल, और पैकेजिंग उद्योग में होता है।