असम को मिली पहली TVET यूनिवर्सिटी: कनकलता बरुआ की स्मृति में आधुनिक शिक्षा की पहल

असम को मिली पहली TVET यूनिवर्सिटी: कनकलता बरुआ की स्मृति में आधुनिक शिक्षा की पहल

असम के गोहपुर में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्य की पहली टेक्नोलॉजी और वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (TVET) यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखी। यह परियोजना न केवल कौशल आधारित शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है, बल्कि असम की युवा स्वतंत्रता सेनानी कनकलता बरुआ को एक प्रेरणादायक श्रद्धांजलि भी है, जिन्होंने महज 17 वर्ष की आयु में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी थी।

आधुनिक शिक्षा की दिशा में एक नई सोच

कनकलता बरुआ TVET यूनिवर्सिटी का उद्देश्य छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, ड्रोन टेक्नोलॉजी और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों में दक्ष बनाना है। यह ग्रीन कैंपस लगभग 800 बीघा भूमि पर फैला होगा, जिसमें सात लाख वर्गफुट का निर्मित क्षेत्र होगा। परियोजना की अनुमानित लागत ₹415 करोड़ है और इसे दो चरणों में विकसित किया जाएगा, जिसकी कुल लागत लगभग ₹1,000 करोड़ तक पहुंच सकती है। इस विश्वविद्यालय में लगभग 10,000 छात्रों के पढ़ने की व्यवस्था होगी।

पूर्वोत्तर भारत के विकास पर सरकार का विशेष ध्यान

आधारशिला समारोह के दौरान वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि 2014 से अब तक केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर भारत की शिक्षा व्यवस्था में ₹21,000 करोड़ से अधिक का निवेश किया है। इसमें 850 से अधिक नए स्कूल, 15 मेडिकल कॉलेज, पहला AIIMS, और 200 से अधिक कौशल विकास संस्थानों की स्थापना शामिल है। साथ ही गुवाहाटी में एक नए भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) और पूर्वोत्तर में भारत के पहले खेल विश्वविद्यालय की स्थापना की भी योजना है। यह सभी योजनाएं क्षेत्र के युवाओं को तकनीकी शिक्षा और औद्योगिक कौशल से जोड़ने की दिशा में केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

कनकलता बरुआ: साहस और बलिदान की मिसाल

कनकलता बरुआ का जन्म 1924 में असम के बारांगाबाड़ी गांव में हुआ था। वे “मृत्यु वाहिनी” (Death Army) की सदस्य थीं। 20 सितंबर 1942 को उन्होंने गाहपुर थाने पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए एक जुलूस का नेतृत्व किया। ब्रिटिश पुलिस की चेतावनियों की अनदेखी करते हुए, वे आगे बढ़ती रहीं और गोलियों का सामना करते हुए शहीद हो गईं। मात्र 17 वर्ष की आयु में उनका यह बलिदान आज भी असम और भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • कनकलता बरुआ TVET यूनिवर्सिटी असम के गोहपुर में ₹415 करोड़ की लागत से बनेगी।
  • कनकलता बरुआ, जिन्हें “बीरबाला” भी कहा जाता है, 1942 में झंडा फहराते समय 17 वर्ष की उम्र में शहीद हुई थीं।
  • विश्वविद्यालय में AI, ड्रोन टेक्नोलॉजी, और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे आधुनिक विषयों की पढ़ाई होगी।
  • उनके सम्मान में भारतीय तटरक्षक जहाज़ ICGS कनकलता बरुआ और एक राज्य विश्वविद्यालय का नामकरण भी किया गया है।

यह विश्वविद्यालय असम की गौरवशाली विरासत और तकनीकी भविष्य के संगम का प्रतीक बनेगा। यह न केवल एक युवा शहीद के अदम्य साहस का सम्मान है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक दूरदर्शी पहल भी है। कनकलता बरुआ के नाम से जुड़ा यह संस्थान यह संदेश देता है कि शिक्षा और साहस मिलकर ही सच्चे राष्ट्रीय विकास का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

Originally written on November 10, 2025 and last modified on November 10, 2025.

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